सहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं, भारत में अब सिर्फ ‘स्पष्ट विभेद' : थरूर

Edited By Pardeep,Updated: 21 Sep, 2019 08:53 PM

no room for tolerance only  clear distinction  in india tharoor

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को पुणे अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां या तो आप इस तरफ हैं या उस तरफ और इसके बीच सहिष्णुता के लिये कोई जगह नहीं है। उन्होंने इस राजनीतिक “ध्रुवीकरण” के लिए...

पुणेः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को पुणे अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां या तो आप इस तरफ हैं या उस तरफ और इसके बीच सहिष्णुता के लिये कोई जगह नहीं है। उन्होंने इस राजनीतिक “ध्रुवीकरण” के लिए “सत्ताधारी दल” के कृत्यों और पसंद को जिम्मेदार ठहराया।

“ट्रूली योर्स” शीर्षक वाले एक सत्र में “वाई आई एम ए हिंदू” किताब के लेखक ने कहा कि “कोई हिंदू तरीका नहीं” है यद्यपि यहां “मेरा या उनका” हिंदू तरीका है। उन्होंने कहा, “यहां मेरा हिंदू नजरिया है। वहां हिंदूत्व का उनका नजरिया है और हर किसी का अपना हिंदूवादी तरीका है। यही जादू है क्योंकि हिंदूत्व कोई कठोर तरीका नहीं बताता है।”

थरूर ने कहा, “मैं राम की पूजा कर सकता हूं, मैं हनुमान चालीसा पढ़ता हूं, इसलिए मैं हिंदू हूं....लेकिन अचानक अगर कोई कहे कि मैं इनमें से कुछ नहीं करता और इसके बावजूद मैं हिंदू हूं तब वो दोनों सही हैं, और इसे भाजपा तथा संघ परिवार नहीं समझ पाया है।” उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि मेरा एक सच है और आप मानते हैं कि आपके पास सच है...मैं अपने सच का सम्मान करूंगा और कृपया मेरे सच का सम्मान कीजिए...मेरे लिये, यह हिंदुत्व की मूल भावना है।”

उन्होंने कहा कि “सहिष्णुता” से भी आगे “स्वीकार्यता” है। थरूर ने दावा किया कि हिंदुत्व न सिर्फ भारतीय समाज, सभ्यता और संस्कृति का आधार है बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की भी मजबूती है। भाजपा पर निशाना साधते हुए थरूर ने कहा कि भारत में राजनीति का ध्रुवीकरण हुआ है और इसके लिये खासतौर पर सत्ताधारी दल के कृत्य और पसंद जिम्मेदार हैं।

 

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