डॉक्टर की एक गलती मालविका के लिए बन गई वरदान, दोनों हाथ खोने के बाद भी जीत ली दुनिया

Edited By vasudha,Updated: 21 Feb, 2020 10:55 AM

one mistake of the doctor became a boon for malavika

जीवन में सफलता उसी को मिलती है जिसने मुसीबतों का सामना किया हैं। कोई भी एक ऐसा सफल व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसने सफलता से पहले असफलता एंव मुसीबतों का सामना न किया हो। ऐसा ही कुछ हुआ मालविका अय्यर के साथ जिन्होंने कई चुनौतियों को सामने देख कर भी हार नहीं...

नेशनल डेस्क: जीवन में सफलता उसी को मिलती है जिसने मुसीबतों का सामना किया हैं। कोई भी एक ऐसा सफल व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसने सफलता से पहले असफलता एंव मुसीबतों का सामना न किया हो। ऐसा ही कुछ हुआ मालविका अय्यर के साथ जिन्होंने कई चुनौतियों को सामने देख कर भी हार नहीं मानी और आज वह हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। 

PunjabKesari

13 साल की उम्र में एक ग्रेनेड विस्फोट में अपने दोनों हाथ खो देने वाली मालविका अय्यर आज एक इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर, डिसेबल्ड के हक के लिए लड़ने वाली एक्टिविस्ट, सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल के तौर पर जानी जाती हैं। इतना ही नहीं वह राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल के तौर पर जानी जाने वाली मालविका ने मंगलवार को अपने जन्मदिन पर अपने भाषण के हिस्से को ट्विटर पर शेयर कर जिंदगी के मुश्किल हालात के बारे में बताया। इस ट्वीट में मालविका ने अपनी सर्जिकल खामियों के बारे में बात की, जो तब हुईं जब डॉक्टर उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, और कैसे वे खामियां उनके लिए वरदान साबित हुईं। 

PunjabKesari

मालविका ने लिखा कि, हैप्पी बर्थडे टू मी...जब बम ने मेरे हाथों को उड़ा दिया, तो डॉक्टरों ने मेरी जान बचाने के लिए बहुत कोशिश की। इसलिए उन्होंने मेरे दाहिने हाथ को पीछे करके कुछ सर्जिकल गलतियां कीं। दरअसल डॉक्टर की गलती का मतलब था कि उनके हाथ की नुकीली हड्डी मांस से ढंकी न होकर उभरी हुई रह गई। मालविका लिखती हैं कि, 'स्टंप में एक हड्डी होती है, जो किसी मांस से नहीं ढकी होती है। अगर मैं किसी चीज पर हाथ मारती हूं, तो बहुत दर्द होता है। लेकिन वह गलती बहुत अविश्वसनीय साबित हुई है। वह हड्डी अब मेरी एकमात्र उंगली की तरह काम करती है। यही कारण है कि मैं टाइप कर पाती हूं। 

PunjabKesari

मालविका ने आगे लिखा कि हर बादल में एक चांदनी छुपी होती है और उनकी यह जीवन भी कुछ उसी तरह का है। मैंने इच्छाशक्ति से दिव्यांगता के सदमे पर विजय पाई। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढना ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने लिखा कि मैंने अपनी पीएचडी थीसिस लिखने का जश्न मनाया और अब मैं अपनी वेबसाइट को साझा करने के लिए रोमांचित हूं, जिसे मैंने अपनी बहुत ही असाधारण उंगली के साथ बनाया है। उन्होंने अपनी इस थीसिस का लिंक भी अपनी वेबसाइट पर शेयर किया है। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!