3840 में से सिर्फ 4 ट्रेनें लेट पहुंचीं, कोई ट्रेन रास्‍ता नहीं भटकी: रेलवे

Edited By Yaspal,Updated: 29 May, 2020 07:39 PM

out of 3840 only 4 trains have arrived late railways

भारतीय रेलवे ने आज कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग कम होने लगी है लेकिन ये गाड़ियां तब तक चलेंगी जब तक इनकी मांग आती रहेगी। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक कुल 3840 श्रमिक स्पेशल गाड़यिों में 20 से 24 मई के बीच 71 ट्रेनों को परिवर्तित मार्ग...

नई दिल्लीः भारतीय रेलवे ने आज कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग कम होने लगी है लेकिन ये गाड़ियां तब तक चलेंगी जब तक इनकी मांग आती रहेगी। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक कुल 3840 श्रमिक स्पेशल गाड़यिों में 20 से 24 मई के बीच 71 ट्रेनों को परिवर्तित मार्ग से चलाया गया था तथा आगे भी यात्रियों की मांग के आधार पर गाड़ियों के मार्ग में बदलाव किया जा सकता है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ रेलवे के 12 लाख श्रमिक भाई बहन, देश के अन्य श्रमिक भाई बहनों को घर पहुंचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और भारतीय रेल उन्हें कम से कम समय में उनके गंतव्य पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है।''
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यादव ने श्रमिक स्पेशल गाड़ियों के परिचालन मे विलंब एवं मार्ग परिवर्तन की रिपोटरं के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि अब तक 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 52 लाख श्रमिक भाई बहनों को गंतव्य पहुंचाया जा चुका है। एक मई से शुरू हुईं ये गाड़ियां 20 मई से 24 मई के बीच के कालखंड को छोड़कर कभी देरी से नहीं चलीं। 20 मई से पहले चलायी गयीं गाड़यिां सुपरफास्ट ट्रेनों से अधिक रफ्तार से गंतव्य तक पहुंचीं और अब भी मेल एक्सप्रेस की गति से अधिक गति से चल रहीं हैं।
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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग में आई कमी
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग में कमी आई है और अभी 450 ट्रेनों की मांग लंबित है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि श्रमिक स्पेशल बंद कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि जब तक राज्यों से मांग आती रहेगी तब तक ये गाड़यिां चलतीं रहेंगी। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक महामारी की असाधारण परिस्थितयां हैं। इनमें सामान्य व्यवस्थाओं का शत-प्रतिशत अनुपालन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि 3840 गाड़यिों में से केवल 71 गाड़ियां परिवर्तित मार्ग से परिचालित की गयीं। चार ट्रेनों को छोड़ कर सभी 3836 गाड़यिां 72 घंटे के भीतर गंतव्य तक पहुंचीं। दस प्रतिशत से कम गाड़ियां दो से चार घंटे विलंबित हुईं जबकि 90 प्रतिशत श्रमिक स्पेशल निर्धारित समय पर गंतव्य पहुंचीं। उन्होंने कहा कि चार ट्रेनें मणिपुर में जिरीबाम एवं त्रिपुरा में अगरतला जा रहीं थीं। भूस्खलन के कारण पटरियों पर पानी भर गया था जिससे गाड़यिों को 12 घंटे तक रोकना पड़ा था। उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार में कुछ दिनों से डेमू मेमू ट्रेनों को भी चलाया गया है ताकि मजदूरों को उनके गृहनगर एवं गांव के निकटतम संभव स्थान तक पहुंचाया जा सके।
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गाड़ियों के मार्ग परिवर्तन का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 80 प्रतिशत गाड़यिां उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लिए चलायीं गयीं। बीस से 24 मई के बीच राज्यों की मांग बहुत अधिक रही। इससे रोज़ाना 260 से 279 तक ट्रेनें चलानीं पड़ी जिनमें 90 प्रतिशत ट्रेनें उत्तर प्रदेश एवं बिहार की थीं। प्रारंभिक स्टेशन पर प्रशासकीय कारणों से गाड़यिों को दोपहर दो बजे से मध्यरात्रि के बीच दस घंटे की अवधि में पांच पांच मिनट के अंतर पर चलाना पड़ा जिससे ट्रैक पर भारी दबाव पैदा हो गया। इस कारण 71 गाड़यिों के मार्ग में बदलाव करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि गाड़यिों के मार्ग में आगे भी परिवर्तन किया जा सकता है। ये निर्णय श्रमिक यात्रियों के गंतव्य स्थान को देख कर गंतव्य वाली राज्य सरकार से परामर्श करके तय किया जाएगा जो मामूली होगा।

बीमार, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और 10 साल से कम के बच्चे यात्रा से बचें
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कुछ समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि गाड़ियों के मार्गपरिवर्तन को रेलवे का रास्ता भटकना कहना सही नहीं है। चार ट्रेनों को छोड़ कर किसी भी ट्रेन ने गंतव्य पहुंचने में तीन दिन से अधिक नहीं लिया। ऐसे समाचारों से रेलवे के 12 लाख श्रमिकों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने गाड़ियों में कुछ यात्रियों की मौत होने और करीब 40 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होने के बारे में पूछे गये सवालों पर गृह मंत्रालय एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के परामर्श की याद दिलायी और कहा कि बीमार, बुजुर्ग, गर्भवती महिला एवं दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को अत्यंत जरूरी नहीं होने पर यात्रा से बचना चाहिए।
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यादव ने यह भी स्वीकार किया कि लॉकडाउन की वजह से कामगारों की कमी एवं अन्य कुछ अन्य कारणों से कई मर्तबा गाड़ियों में खाने पीने की सामग्री के वितरण में समस्या सामने पेश आयी और करीब तीन प्रतिशत ट्रेनों के श्रमिक यात्रियों द्वारा स्टेशनों पर खाने की लूट की घटनाएं हुईं लेकिन रेलवे ने रोज़ाना की चूकों से सबक लेकर ऐसे प्रबंध किये जिससे अगले दिन ऐसा ना हो। उन्होंने दावा किया कि अब स्थिति पहले से काफी बेहतर है। श्रमिक यात्रियों को खाना पीना बेहतर ढंग से दिया जा रहा है। गाड़ियों के परिचालन से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों एवं 15 जोड़ी स्पेशल राजधानी गाड़ियों के अलावा एक जून से 200 गाड़यिां और चलायीं जाएंगी। गुरूवार से रेलवे के आरक्षण नियम सामान्य कर दिये गये हैं। रेलवे धीरे धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रही है। रेलवे अधिकारी बारीकी से स्थितियों एवं मांग का अध्ययन कर रहे हैं। इसके आधार पर भविष्य में और गाड़ियां भी शुरू की जाएंगी।

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