10वीं में 99.5% अंक लाने वाला चपरासी नहीं जानता पढ़ना-लिखना, जज ने दिया सर्टिफिकेट जांच का आदेश

Edited By Mahima,Updated: 22 May, 2024 03:21 PM

peon who scored 99 5 marks in 10th class does not know how to read and write

कर्नाटक से एक अनोखा मामला देखने को मिला है, जहां कोप्पल कोर्ट के जज ने एक चपरासी के खिलाफ जांच के आदेश दिए। दरअसल, चपरासी की 10वीं की 99 प्रतिशत की डिग्री देख कर जज को काफी हैरानी हुई क्योंकि, चपरासी को ढ़ग से पढ़ना-लिखना नहीं आता था।

नेशनल डेस्क: कर्नाटक से एक अनोखा मामला देखने को मिला है, जहां कोप्पल कोर्ट के जज ने एक चपरासी के खिलाफ जांच के आदेश दिए। दरअसल, चपरासी की 10वीं की 99 प्रतिशत की डिग्री देख कर जज को काफी हैरानी हुई क्योंकि, चपरासी को ढ़ग से पढ़ना-लिखना नहीं आता था। जिसके बाद जज ने चपरासी की 10वीं की मार्कशीट पर संदेह जताते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। 23 साल के प्रभु लक्ष्मीकांत लोकरे कोप्पल कोर्ट में सफाईकर्मी का काम करते थे, लेकिन अपनी कक्षा 10 की परीक्षा में 99.5% अंक प्राप्त करने के बाद कोर्ट में उन्हें चपरासी की नौकरी दे दी।

हालांकि, इस उपलब्धि के बाद जज समेत हर किसी के मन में संदेह पैदा कर दिया, क्योंकि चपरासी कन्नड़ भाषा को लिखने और पढ़ने में अक्षम थे। इसके बाद कोप्पल में जेएमएफसी न्यायाधीश ने पुलिस को प्रभु की शैक्षिक योग्यता की जांच करने के निर्देश दिए हैं। 26 अप्रैल प्रभु के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई है।  FIR होने के बाद से ही पुलिस ने प्रभु की मार्कशीट और स्कूली शिक्षा की जांच की, और सच सामने आने के बाद पता चला कि प्रभु ने केवल 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और कोप्पल अदालत में सफाईकर्मी के रूप में काम किया। इसके बावजूद, उनका नाम चपरासी के पद के लिए 22 अप्रैल, 2024 को जारी अंतिम योग्यता चयन सूची में दर्ज किया गया, जिससे उनकी पोस्टिंग यादगीर में जिला और सत्र न्यायालय में हो गई। 

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SSLC परीक्षा में 625 में से 623 अंक किए प्राप्त
प्रभु के सर्टिफिकेट के अनुसार, उन्होंने SSLC परीक्षा में 625 में से 623 अंक प्राप्त किए। प्रभु को सालों से जानने वाले जज को पता था कि वह कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी भाषा लिख या पढ़ नहीं पाते हैं। जज को इस बात का संदेह हुआ कि फिर प्रभु सफाईकर्मी से चपरासी कैसे बना। न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि फर्जी शैक्षणिक उपलब्धियों से मेधावी छात्रों को नुकसान होता है और इस बात की जांच करने की बात कही कि क्या अन्य लोगों ने भी इसी तरह से सरकारी नौकरियां हासिल की हैं या नहीं।

दिल्ली शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा
न्यायाधीश ने प्रभु की लिखावट की तुलना उनकी SSLC उत्तर पुस्तिकाओं से करने का भी अनुरोध किया। प्रभु ने दावा किया कि उन्होंने 2017-18 में बागलकोट जिले के बनहट्टी में एक संस्थान में एक निजी उम्मीदवार के रूप में कक्षा 10 की परीक्षा दी थी और परीक्षा दिल्ली शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित की गई थी। पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है।

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