Edited By Hitesh,Updated: 02 Jul, 2021 05:13 PM
लंबे समय तक पीएम 2.5 जैसे प्रदूषकों के संपर्क में रहने के कारण महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में रहने वाले लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है। अखिल भारतीय स्तर पर हुए एक नए अध्ययन में यह बात...
नेशनल डेस्क: लंबे समय तक पीएम 2.5 जैसे प्रदूषकों के संपर्क में रहने के कारण महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में रहने वाले लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा ज्यादा है। अखिल भारतीय स्तर पर हुए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इसमें कहा गया कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे, अहमदाबाद,वाराणसी, लखनऊ और सूरत समेत 16 शहरों में कोविड-19 के मामले समसे ज्यादा दर्ज किए गए और जीवाश्म ईंधन आधारित मानवजनित गतिविधियों के कारण इन इलाकों में पीएम2.5 का उत्सर्जन भी ज्यादा है।
पीएम2.5 का मतलब सूक्ष्म कणों से है जो शरीर के अंदर गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और फेफड़ों व सांस की नली में सूजन पैदा करते हैं। इसकी वजह से प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने के साथ ही हृदय व सांस संबंधी बीमारियों का भी जोखिम रहता है। वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के निदेशक और अध्ययन के लेखकों में से एक गुफरान बेग के मुताबिक यह अध्ययन देश भर के 721 जिलों में किया गया और इसमें पीएम2.5 की उत्सर्जन मात्रा और कोविड-19 संक्रमण व मौत में मजबूत संबंध स्थापित हुआ।