अटल न होते तो पीएम न बन पाते नरेंद्र मोदी

Edited By Yaspal,Updated: 16 Aug, 2018 07:08 PM

pm can not become pm if he does not stand firm

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज एम्स में 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले 9 हफ्ते से एम्स में भर्ती थे। उन्होंने 5:05 मिनट पर अंतिम सांस ली।

नेशनल डेस्कः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज एम्स में 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले 9 हफ्ते से एम्स में भर्ती थे। उन्होंने 5:05 मिनट पर अंतिम सांस ली। बहुत कम लोग इस बात से अंजान होंगे कि पीएम नरेंद्र मोदी भी जीवन के एक मोड़ पर राजनीतिक जीवन त्यागकर अज्ञातवास में चले गए थे। माना जाता है कि मोदी उन दिनों अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रहे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अमेरिकी दौरे पर थे। जब अटल को इस बात का पता चला कि मोदी भी राजनीतिक अज्ञातवास पर यहीं हैं तो उन्होंने तुरंत नरेंद्र मोदी को बुलाया और कहा- ऐसे कब तक यहां रहोगे, भागने से काम नहीं चलेगा। दिल्ली आओ...

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इसका जिक्र वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की एक किताब “हार नहीं मानूंगा-अटल एक जीवन गाथा” के 12वें अध्याय में किया गया है। विजय ने पीएम मोदी के एक खास मित्र के हवाले से बताया कि अमेरिका में हुई इस अटल-मोदी की मुलाकात के कुछ दिनों बाद ही वो दिल्ली आ गए थे। मोदी को बीजेपी के पुराने ऑफिस में अशोक रोड में एक कमरा दे दिया गया और संगठन को मजबूत करने के काम में लगा दिया गया।

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दरअसल, यह वो दौर था जब गुजरात में उन्हें केशुभाई पटेल के विरोधियों का साथ देने के आरोप में नाराजगी झेलनी पड़ी थी। जिस कमरे में मोदी रहते थे। उसमें फर्नीचर के नाम पर एक तख्त और दो कुर्सियां हुआ करती थीं। अक्तूबर 2001 की सुबह मोदी एक मीडियाकर्मी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली के एक शमशान घाट में मौजूद थे। इसी दौरान मोदी का फोन बजा और अटल ने उन्हें तुरंत मिलने के लिए बुलाया। ये वो दौर था जब बीजेपी के प्रमोद महाजन, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का बोलबाला हुआ करता था।

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दरअसल, केशुभाई पटेल की छवि गुजरात में सुस्त, रिश्तेदारों और चापलूसों से घिरे रहने वाले नेता की छवि बन गई थी। साल 2000 में बीजेपी अहमदाबाद और राजकोट का म्युनिसिपल चुनाव भी हार गई थी। 20 सितंबर 2001 को बीजेपी अहमदाबाद, एलिसब्रिज और साबरकांठा नाम विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी हार गई। एलिसब्रिज सीट सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी की गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा भी थी।

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पार्टी हाईकमान को अहसास हुआ कि ऐसे चलता रहा तो 2003 के विधानसभा चुनाव में भी हार हो सकती है और केशुभाई को हटाने का फैसला ले लिया गया। 7 अक्टूबर 2001 को अटल की रजामंदी से मोदी को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। यहीं से मोदी के केंद्रीय नेतृत्व में आने का रास्ता भी खुल गया।

 

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