हिमाचल में सरकार बचाने में प्रियंका गांधी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

Edited By Anu Malhotra,Updated: 29 Feb, 2024 06:40 PM

priyanka gandhi played important role in crisis in himachal government

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर आए संकट को टालने और सरकार बचाने में ‘महत्वपूर्ण' भूमिका निभाई। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘ऑपरेशन लोटस' को विफल करने के लिए प्रियंका गांधी पार्टी...

नयी दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर आए संकट को टालने और सरकार बचाने में ‘महत्वपूर्ण' भूमिका निभाई। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘ऑपरेशन लोटस' को विफल करने के लिए प्रियंका गांधी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ निरंतर संपर्क में बनी रहीं। सूत्रों ने प्रियंका गांधी की भूमिका का उल्लेख ऐसे समय किया जब पार्टी ने आधिकारिक रूप से कहा है कि हिमाचल प्रदेश में अब स्थिति उसके नियंत्रण में है और सरकार अस्थिर करने का भाजपा का प्रयास विफल रहा।

पार्टी से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘‘राज्यसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस विधायकों ने बगावत की, उससे लग रहा था कि एक और राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा। लेकिन पार्टी आलाकमान ने सक्रियता और सख्ती दिखाई, इससे न सिर्फ कांग्रेस का संकट टल गया, बल्कि सरकार भी बच गई।'' सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में सरकार गिराने की ‘पूरी साजिश' रची थी लेकिन जैसे ही बगावत की भनक लगी तो आलाकमान सक्रिय हो गया। सूत्रों ने कहा, ‘‘पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी तुरंत सक्रिय हो गईं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ खुद मोर्चा संभाल लिया। वरिष्ठ नेताओं भूपिंदर सिंह हुड्डा, डीके शिवकुमार और भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया और सख्त निर्देश दिए गए कि उन्हें सभी को साथ लेकर चलना है।''

सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी पार्टी अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सभी महत्वपूर्ण नेताओं से लगातार संपर्क में बनी रहीं। प्रियंका गांधी 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अभियान का चेहरा थीं। वह पहले भी कांग्रेस के लिए ‘‘संकटमोचक'' की भूमिका निभा चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एकमात्र सीट पर हुए मतदान में कांग्रेस के छह विधायकों द्वारा 'क्रॉस वोटिंग' किये जाने के बाद भाजपा ने जीत हासिल की थी और उसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बृहस्पतिवार को इन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। विधायकों ने सदन में वित्त विधेयक पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। 

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