सचिन के पिता राजेश पायलट ने भी की थी कांग्रेस से बगावत, लेकिन अंतिम सांस तक पार्टी के साथ बने रहे

Edited By Anil dev,Updated: 13 Jul, 2020 02:12 PM

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच गतिरोध जारी है। इसी बीच सचिन पायलट के स्वर्गीय पिता राजेश पायलट को याद किया जा रहा है जिन्होंने आखिरी सांस तक कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ था।

नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच गतिरोध जारी है। इसी बीच सचिन पायलट के स्वर्गीय पिता राजेश पायलट को याद किया जा रहा है जिन्होंने आखिरी सांस तक कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ था। राजेश पायलट ने कांग्रेस में रहते हुए कहा था कि पार्टी में जवाबदेही नहीं रही, पारदर्शिता नहीं रही और कुर्सी को सलाम किया जाने लगा है। इतना ही नहीं ऐसे कई मौके आए जब राजेश पायलट ने पार्टी को सार्वजनिक तौर पर नसीहत दी थी। उन्होंने एक बार सीधे गांधी परिवार को चुनौती दे दी थी, लेकिन राजनीति में एंट्री से लेकर अपनी अंतिम सांस तक वह कांग्रेस के साथ ही बनी रहे।

राजेश पायलट ने करियर के लिए वायु सेना को चुना
राजेश पायलट का जन्म 1945 जन्म हुआ और उन्होंने अपने करियर के लिए वायु सेना को चुना। करीब 13 साल सेना की सेवा करने के बाद उन्होंने इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा। राजेश पायलट की कांग्रेस में एंट्री गांधी परिवार के जरिए ही हुई थी। 1980 में राजेश ने राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था, वहीं पायलट होने के नाते संजय गांधी से उनकी नजदीकियां ज्यादा थी और बाद में वे राजीव गांधी के भी करीबी रहे। आगे राजेश पायलट चुनाव जीतते रहे और केंद्र की सत्ता में अपनी भूमिका निभाते रहे। जब राजीव गांधी की हत्या हुई तब राजनीति में उथल-पुथल मची, इस दौरान राजेश पायलट ने कई मौकों पर तेवर दिखाए।

कांग्रेस से राजेश पायलट बढ़ी दूरियां
1997 में इसका पहला उदाहरण देखने के लिए मिलता है जब राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा जिसमें वे सफल नहीं हो पाए। यह वह दौर था जब कांग्रेस बिना गांधी परिवार के नेतृत्व के चल रही थी और लगभग बिखरती हुई नजर आ रही थी। माना जाता है कि यही कारण था कि सोनिया गांधी ने 1997 में कांग्रेस ज्वाइन की और 1998 में वह पार्टी की अध्यक्ष बन गई। 1999 में सोनिया गांधी ने कर्नाटक की बेल्लारी और यूपी की अमेठी सीट से चुनाव जीता। इसी दौरान सोनिया गांधी के पीएम बनने की चर्चा तेज हो गई। इसी बीच पीए संगमा, शरद पवार और तारिक अनवर जैसे बड़े नेता ने पार्टी का दामन छोड़ दिया। वहीं राजेश पायलट को लेकर भी चर्चा तेज हो रही थी कि वे भी पार्टी छोड़ सकते हैं लेकिन राजेश ने पार्टी का हाथ थामे रखा। हालांकि उस समय से पार्टी नेतृत्व से उनकी दूरियां बढऩे लगी थी।

नहीं छोड़ा कांग्रेस का साथ
जिसका उदाहरण कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में देखा गया जब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा और इसमें राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया। इसी दौरान 11 जून 2000 को एक सड़क दुर्घटना में राजेश पायलट की मौत हो गई। जितेंद्र प्रसाद भी चुनाव हार गए और सोनिया गांधी लगातार कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बनी रहीं। लेकिन आखिरी वक्त तक राजेश ने 
कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा था


 

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