Edited By Anil dev,Updated: 25 Apr, 2018 05:26 PM
राजस्थान में जोधपुर की एक अदालत ने गुरूकुल की नाबालिग से यौन शोषण के आरोपी कथा वाचक आसाराम को आजीवन कारावास तथा उसके दो सेवादारों को बीस बीस साल की सजा सुनाई है। अनुसचित जाति एवं जनजाति अधिनियम अदालत के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने आज जेल परिसर में...
नई दिल्ली: राजस्थान में जोधपुर की एक अदालत ने गुरूकुल की नाबालिग से यौन शोषण के आरोपी कथा वाचक आसाराम को आजीवन कारावास तथा उसके दो सेवादारों को बीस बीस साल की सजा सुनाई है। अनुसचित जाति एवं जनजाति अधिनियम अदालत के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने आज जेल परिसर में बनायी गई अस्थाई अदालत में आसाराम तथा उसके दो सेवादार शिल्पी और शरतचन्द्र को नाबालिग से यौन शोषण करने का दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई है। वहीं अब भी बलात्कारी आसाराम के पास अभी भी भक्तों की कमी है और न ही पैसे की। वहीं आसाराम के भक्त सबसे अधिक गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हैं और देशभर में करीब 2 से 4 करोड़ तक आसाराम के भक्तों की संख्या हो सकती है। गुजरात पुलिस की मानें तो आसाराम के पास 2 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा की संपत्ति है।
आसाराम के हैं पूरे देश में 400 से ज्यादा आश्रम
पूरे देश में आसाराम के 400 से ज्यादा आश्रम हैं। इनकी कुल कीमत दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की है। आश्रम की जमीनों के अलावा इसका ट्रस्ट आश्रम में बनने वाली चीजें बेचकर करोड़ों की कमाई करते हैं। आसाराम के ट्रस्ट की पत्रिकाएं काफी लोकप्रिय थीं। आयकर विभाग की जांच में 2300 करोड़ से भी ज्यादा की अघोषित संपत्ति सामने आई है। देशभर में आसाराम के चार करोड़ से ज्यादा अनुयाई हैं। आसाराम की संस्थाओं द्वारा बेचें जाने वाली पत्रिकाओं, उत्पादों की बिक्री से, श्रद्धालुओं के चंदे से और आश्रम की हड़पी हुई जमीन पर खेती से मोटी कमाई होती थी। आसाराम की दो पत्रिकाओं ऋषिप्रसाद और लोक कल्याण सेतु की 14 लाख प्रतियां हर महीने बिकती थी, जिनसे सालाना 10 करोड़ रुपए के आसपास रकम आती थी। केरल और तमिलनाडु को छोड़कर, बाकी हर राज्य में आसाराम का आश्रम होने का दावा किया जाता है।
लम्बी लुका-छिपी के बाद इंदौर के आश्रम से पकड़ा गया था आसाराम
इंदौर: नाबालिग लड़की के यौन शोषण के दोषी करार दिए गए आसाराम को लम्बे नाटकीय घटनाक्रम के दौरान उसके स्थानीय आश्रम से 31 अगस्त 2013 की देर रात गिरफ्तार किया गया था। चश्मदीदों के मुताबिक 30 अगस्त 2013 की रात तक रहस्य बरकरार था कि आसाराम अपने खंडवा रोड स्थित आश्रम में है या नहीं। लेकिन इसके अगले ही दिन जब आश्रम में प्रवचनकर्ता के समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा और वहां भारी पुलिस बल तैनात करते हुए इस परिसर के भीतर मीडिया को प्रवेश से रोक दिया गया, तो माजरा समझ आने लगा। मीडिया के भारी जमावड़े के बीच 31 अगस्त 2013 को सुबह से लेकर शाम तक पल-पल बदलते घटनाक्रम से आसाराम के अपने आश्रम में ही मौजूद होने के संकेत मिलने लगे। रात साढ़े आठ बजे के आस-पास जब जोधपुर पुलिस का दल आश्रम के भीतर दाखिल हुआ, तो इसमें कोई संदेह नहीं रह गया कि प्रवचनकर्ता इस परिसर के भीतर ही है। बहरहाल, स्थानीय अधिकारी बताते हैं कि जोधपुर पुलिस के दल को आश्रम के भीतर दाखिल होने के बाद आसाराम को गिरफ्तार करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। पुलिस दल करीब चार घंटे तक आश्रम में रहा। इस दौरान आश्रम के भीतर प्रवचनकर्ता के सैकड़ों अनुयायियों का हंगामा और नारेबाजी जारी रही।