Edited By vasudha,Updated: 27 Jul, 2021 12:37 PM
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है। कलाम परमाणु वैज्ञानिक, लेखक, कवि और शिक्षाविद तो थे कि इसके साथ ही उन्होंने अपने उत्कृष्ट योगदान से भारत की रक्षा और अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत किया है। परमाणु विज्ञान के क्षेत्र...
नेशनल डेस्क: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है। कलाम परमाणु वैज्ञानिक, लेखक, कवि और शिक्षाविद तो थे कि इसके साथ ही उन्होंने अपने उत्कृष्ट योगदान से भारत की रक्षा और अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत किया है। परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कलाम को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और उन्हें जनता के राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता है। जो जानिए अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर कुछ अनसुने किस्से।
जूता बनाने वाला और ढाबा मालिक बने थे कलाम के मेहमान
2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद अब्दुल कलाम पहली बार केरल गए थे। उस वक्त केरल राजभवन में राष्ट्रपति के मेहमान के तौर पर दो लोगों को न्योता भेजा गया। पहला था जूते-चप्पल की मरम्मत करने वाला.. और दूसरा एक ढाबा मालिक तिरुवनंतपुरम में रहने के दौरान इन दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी।
दो सूटकेस लेकर पहुंचे राष्ट्रपति भवन
जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति चुना गया था तो उनके स्वागत के लिए जोरो-शोरो से तैयारियां की गईं, राष्ट्रपति भवन को खूबसूरती से सजाया गया। इस बात को काफी कम लोग जानते हैं कि जब अब्दुल कलाम वहां पहुंचे तो वो सिर्फ 2 सूटकेस लेकर पहुंचे थे। एक सूटकेस में उनके कपड़े तथा दूसरी में उनकी प्रिय किताबें थी।
ट्रस्ट को दान कर देते थे पूरा वेतन
डॉ कलाम ने कभी अपने या परिवार के लिए कुछ बचाकर नहीं रखा। राष्ट्रपति पद पर रहते ही उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी और मिलने वाली तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी। उन्होंने कहा था कि चूंकि मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जबतक जिंदा रहूंगा सरकार मेरा ध्यान आगे भी रखेगी ही। तो फिर मुझे तनख्वाह और जमापूंजी बचाने की क्या जरूरत।
कभी नहीं रखा उपहार
देश के 11वें राष्ट्रपति कलाम ने कभी किसी का उपहार नहीं रखा। एक बार किसी ने उन्हें 2 पेन तोहफे में दिए थे जिन्हें उन्होंने राष्ट्रपति पद से विदा लेते वक्त खुशी से लौटा दिए थे। उनका कहना था कि ;उनके पिता ने सिखाया है कि कोई उपहार कबूल मत करो।
जूनियर वैज्ञानिक के बच्चे को ले गए प्रदर्शनी दिखाने
डॉ कलाम जब डीआरडीओ के डायरेक्टर थे तो उसी दौरान एक दिन एक जूनियर वैज्ञानिक ने डॉ कलाम से आकर कहा कि मैंने अपने बच्चों से वादा किया है कि उन्हें प्रदर्शनी घुमाने ले जाऊंगा। इसलिए आज थोड़ा पहले मुझे छुट्टी दे दीजिए। कलाम ने खुशी-खुशी हामी भर दी। लेकिन काम में मशगूल वैज्ञानिक ये बात भूल गया.. जब वो रात को घर पहुंचा तो ये जानकर हैरान रह गया कि डॉ कलाम वक्त पर उसके घर पहुंच गए और बच्चों को प्रदर्शनी घुमाने ले गए।
मंच पर बड़ी कुर्सी पर बैठने से मना किया
साल 2013 में आईआईटी वाराणसी में दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉक्टर कलाम ने कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया था। क्योंकि वो वहां मौजूद बाकी कुर्सियों से बड़ी थी। कलाम बैठने के लिए तभी राजी हुए जब आयोजकों ने बड़ी कुर्सी हटाकर बाकी कुर्सियों के बराबर की कुर्सी मंगवाई।