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ऑफ द रिकॉर्डः कांग्रेस को अपनी मर्जी से चला रहे राहुल को ‘घेरने की तैयारी’ में बागी

Edited By Pardeep,Updated: 24 Feb, 2021 05:49 AM

rebel in readiness to surround rahul who is running the congress at will

राहुल गांधी न तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं और न ही संसदीय दल के नेता हैं। लेकिन फिर भी पार्टी और संसद में उनकी तूती बोलती है। वह किसी का भी लिहाज नहीं करते। वह अपनी बात मनवाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लेते हैं और अपनी मर्जी से पार्टी में अपने खासम-खासों...

नई दिल्लीः राहुल गांधी न तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं और न ही संसदीय दल के नेता हैं। लेकिन फिर भी पार्टी और संसद में उनकी तूती बोलती है। वह किसी का भी लिहाज नहीं करते। वह अपनी बात मनवाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लेते हैं और अपनी मर्जी से पार्टी में अपने खासम-खासों को नियुक्त करते हैं। जिस प्रकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को बाहर का रास्ता दिखाया गया, उससे बागियों के ग्रुप-23 को यह साफ हो गया कि उनके साथ भी यही बर्ताव किया जाएगा। 

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हालांकि प्रियंका गांधी ने गुलाम नबी आजाद व आनंद शर्मा के साथ बैठक कर मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन राहुल इन सब बातों की परवाह नहीं करते। वह पार्टी को अपने तरीके से चला रहे हैं और उन्होंने अपने विश्वस्तों की एक टीम बना ली है। इस टीम में महासचिव के.सी. वेणुगोपाल उनके दाएंं हाथ के रूप में उभर रहे हैं। जो हैसियत कभी सोनिया गांधी के लिए अहमद पटेल की थी, वही आज राहुल के लिए वेणुगोपाल हासिल कर चुके हैं। 
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वेणुगोपाल के अलावा रणदीप सुरजेवाला, प्रवीण चक्रवर्ती, गौरव गोगोई व रवनीत बिट्टू राहुल के करीब हैं। जिस तरीके से नाना पटोले को महाराष्ट्र के विधानसभा स्पीकर पद से हटाकर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है, उससे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति हैरान है। महाराष्ट्र में चाहे कोई भी पटोले को पसंद न करता हो परंतु वह राज्य में शिवसेना और शरद पवार से लडऩे के लिए राहुल गांधी के सिपहसालार बन गए हैं। अब यह बात कही जा रही है कि कांग्रेस से किसी मंत्री को हटाकर उनके स्थान पर नाना पटोले को मंत्री पद दिया जा सकता है। बागियों के साथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण मुकुल वासनिक पर राहुल की टेढ़ी नजर है। 
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यह बात भी सामने आई है कि गुलाम नबी आजाद आनंद शर्मा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मिलकर राहुल के खिलाफ ग्रुप-23 की नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। हुड्डा व शर्मा हाल ही में एक सम्मेलन में दिखे थे और दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। बाद में दोनों गुलाम नबी आजाद के घर गए थे। उधर, आजाद भाजपा नेताओं की आंखों का तारा बने हुए हैं और उन्हें अल्पसंख्यक मंत्रालय के कार्यक्रमों का मुख्य अतिथि बनाया जा रहा है। कोई खिचड़ी पक रही है। अब सबकी नजर अवकाश के बाद 8 मार्च से फिर से शुरू होने वाले संसद सत्र पर रहेगी। 

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