'क्या मुझे नहीं बुलाना चाहिए था?', सिद्धारमैया ने सिगंदूर पुल के उद्घाटन पर गडकरी को घेरा

Edited By Updated: 15 Jul, 2025 02:01 AM

siddaramaiah cornered gadkari on the inauguration of singur bridge

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कर्नाटक के शिवमोगा में देश के दूसरे सबसे लंबे केबल-आधारित सिगंदूर पुल का उद्घाटन किया।

नेशनल डेस्कः केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कर्नाटक के शिवमोगा में देश के दूसरे सबसे लंबे केबल-आधारित सिगंदूर पुल का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने विरोध स्वरूप बहिष्कार किया और दावा किया कि उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। सिद्धरमैया ने बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र पर प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में दावा किया कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्य सरकार से परामर्श किए बिना शिवमोगा के सागरा तालुक में कार्यक्रम आयोजित किया था और बिना किसी पूर्व सूचना के निमंत्रण पत्र पर उनका नाम अंकित किया गया था। इससे पहले, गडकरी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि सिद्धरमैया को 11 जुलाई को कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए आधिकारिक निमंत्रण दिया गया था। कार्यक्रम संबंधी किसी भी संभावित चुनौती को देखते हुए 12 जुलाई को एक और पत्र भेजा गया, जिसमें डिजिटल माध्यम से उनकी उपस्थिति का अनुरोध किया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे गए दोनों पत्र भी ‘एक्स' पर पोस्ट किए हैं।

हालांकि, सिद्धरमैया ने सोमवार को एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हममें से कोई भी भाग नहीं ले रहा है, क्योंकि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया था। मैंने नितिन गडकरी से फोन पर बात की और उन्हें इस बारे में सूचित किया। उन्होंने कहा कि वह कार्यक्रम स्थगित कर देंगे। फिर मैंने उन्हें एक पत्र लिखा। संभवत: भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेताओं के दबाव डालने के कारण मुझे कुछ बताए बिना वे ऐसा कर रहे हैं। मैं नहीं जा रहा हूं। मेरा इंडी में एक पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम है। कार्यक्रम एक महीने पहले निर्धारित था, मैं वहां जा रहा हूं।'' उन्होंने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, ‘‘विरोध स्वरूप हममें से कोई भी नहीं जा रहा है। न तो मैं, न लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी) मंत्री, न जिला प्रभारी मंत्री और न ही सागर विधायक।'' यह पूछे जाने पर कि क्या इससे केंद्र और राज्य के बीच टकराव नहीं होगा, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्हें (केंद्र को) आमंत्रित करना चाहिए था, ठीक कहा न? टकराव किसने शुरू किया है? उन्होंने ही टकराव शुरू किया है।

‘प्रोटोकॉल' का पालन करना होगा। यह कार्यक्रम हमारे राज्य में हो रहा है, हम एक संघीय व्यवस्था में हैं।'' सिद्धरमैया के दावे को खारिज करते हुए गडकरी ने अपने पोस्ट में कहा कि केंद्र सरकार स्थापित ‘प्रोटोकॉल' का पालन करती रही है और कर्नाटक सरकार तथा मुख्यमंत्री के योगदान और सहयोग की निरंतर सराहना करती रही है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार सहकारी संघवाद और सभी राज्यों के साथ घनिष्ठ समन्वय के लिए प्रतिबद्ध है।''

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, वरिष्ठ भाजपा नेता बी. एस. येदियुरप्पा सहित अन्य लोग शामिल हुए। भाजपा सांसद राघवेंद्र ने ‘एक्स' पर कहा कि नौ जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री को पुल के उद्घाटन के लिए बेहद आदर के साथ आमंत्रित किया था। मुख्यमंत्री जिस तरह से सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि उन्हें निमंत्रण देर से मिला है, क्या यह उचित है? उन्होंने कहा, ‘‘शरावती नदी पर बना यह पुल छह दशकों के संघर्ष और हजारों लोगों की मेहनत का परिणाम है। इतना ही नहीं, यह हजारों लोगों की भावनाओं का भी प्रतिबिंब है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उनकी भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।''

सांसद ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि निमंत्रण पत्र पहले ही मिलने के बाद भी विकास का राजनीतिकरण करना ‘शरावती बैकवाटर' क्षेत्र के लोगों का अपमान है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप राज्य की जनता के सामने अपना बयान तुरंत वापस लें और सच बताने का प्रयास करें।'' अधिकारियों के अनुसार, सागरा तालुक में अंबरगोडलु-कलासवल्ली के बीच ‘शरावती बैकवाटर' पर बने इस पुल का निर्माण 472 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। इस पुल से सागरा से सिगंदूर के आसपास के गांवों की दूरी काफी कम होने की उम्मीद है, जो चौदेश्वरी मंदिर के लिए जाना जाता है।

ख्यमंत्री कार्यालय ने रविवार शाम सिद्धरमैया द्वारा गडकरी को 11 जुलाई को लिखा गया एक पत्र साझा किया था, जिसमें उन्होंने कार्यक्रम स्थगित करने का आग्रह करते हुए कहा था कि उन्हें पहले से सूचित नहीं किया गया। विजयपुरा जिले के इंडी तालुक की अपनी निर्धारित यात्रा का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने गडकरी को लिखे पत्र में कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए इस तरह के कार्यक्रम की योजना बनाने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करना अधिक उपयुक्त होता। उन्होंने गडकरी से इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया।

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