भाजपा के वायदे को पूरा कर शाह मजबूती से उभरे, विरोधी भी कर रहे तारीफ

Edited By Yaspal,Updated: 06 Aug, 2019 09:17 PM

shah emerges strongly by fulfilling bjp s promise opponents are also praising

भाजपा के सर्वाधिक सफल अध्यक्ष का दर्जा हासिल करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के पार्टी के मुख्य वायदे को पूरा कर राजनीतिक परिदृश्य में, खासकर अपनी पार्टी और इससे जुड़े...

नई दिल्लीः भाजपा के सर्वाधिक सफल अध्यक्ष का दर्जा हासिल करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के पार्टी के मुख्य वायदे को पूरा कर राजनीतिक परिदृश्य में, खासकर अपनी पार्टी और इससे जुड़े हिन्दुत्व संगठनों के भीतर और मजबूत बनकर उभरे हैं।

जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को समाप्त करने के सफल कदम के बाद शाह ने नि:संदेह लोकप्रियता हासिल की है और यह कदम 30 मई को मोदी-2 सरकार के कार्यभार संभालने के बाद गृह मंत्री के रूप में उनकी कार्यशैली को रेखांकित करता है। आतंक रोधी कानूनों को मजबूत करने संबंधी विधेयकों को जारी सत्र में संसद की मंजूरी मिलने से भी भगवा परिवार के मुद्दों-हिन्दुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में शाह की छवि मजबूत हुई है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद शाह को उस मकसद का श्रेय मिल रहा है जिसके लिए भाजपा के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 1953 में जम्मू कश्मीर में जान चली गई। भाजपा नेता संसद में भाषणों के लिए शाह की जमकर तारीफ करने में लगे हैं। इनमें से कई उनकी तुलना देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल से कर रहे हैं। भाजपा ही नहीं, बल्कि वाईएसआर कांग्रेस जैसे राजग से बाहर के दलों ने भी शाह की सराहना की है।

राजनीतिक रणनीति में पारंगत शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र की एकता के इर्द-गिर्द जम्मू कश्मीर से संबंधित संकल्पों और विधेयकों पर चर्चा को इस तरह से अंजाम दिया कि भाजपा की धुर आलोचक अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को भी सत्ता पक्ष का समर्थन करना पड़ा। मोदी-2 सरकार में शामिल होने के बाद से शाह ने हिन्दुत्व विचारधारा के नायक के रूप में अपनी छवि को और मजबूत किया है।
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भाजपा अध्यक्ष के रूप में शाह अपनी पार्टी के मुख्य एजेंडे के कट्टर समर्थक थे जिसमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और समान नागरिक संहिता भी शामिल है। देश के कई राज्यों में अपनी पार्टी को सत्ता दिलाने का मार्ग प्रशस्त करने और हाल में संपन्न आम चुनाव में भाजपा के प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद शाह सरकार में शामिल हुए थे। उन्होंने गृह मंत्री के रूप में पद संभालते ही अपनी त्वरित कार्यशैली का परिचय दिया था।

राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत न होने के बावजूद शाह विपक्ष के नेताओं और दलों का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे। लोकसभा में प्रचंड बहुमत होने के बावजूद भाजपा नीत राजग के पास उच्च सदन राज्यसभा में बहुमत नहीं है, लेकिन जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने संबंधी विधेयक को सोमवार को 61 के मुकाबले 125 वोट मिले। राजनीतिक पंडित शाह को राजनीति में पारंगत रणनीतिकार मानते हैं और जम्मू कश्मीर मुद्दे को लेकर उनकी खूब सराहना कर रहे हैं।
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