स्काईमेट का पूर्वानुमान: इस साल कमजोर रहेगा मानसून

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Apr, 2019 08:23 AM

skymet forecast monsoon this year will remain weak

मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजैंसी स्काईमेट ने बुधवार को कहा कि इस साल कमजोर मानसून के चलते ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है। एजैंसी ने बताया कि मानसून के दीर्घकालिक औसत (एल.पी.ए.) का 93 फीसदी रहने की संभावना है।

नई दिल्ली: मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजैंसी स्काईमेट ने बुधवार को कहा कि इस साल कमजोर मानसून के चलते ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है। एजैंसी ने बताया कि मानसून के दीर्घकालिक औसत (एल.पी.ए.) का 93 फीसदी रहने की संभावना है। दरअसल एल.पी.ए. की 90-95 फीसदी बारिश ‘सामान्य से कम’ वाली श्रेणी में आती है। 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एल.पी.ए. कहा जाता है और यह 89 सैं.मी. है। स्काईमेट के सी.ई.ओ. जतिन सिंह ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है। स्काईमेट के पूर्वानुमान के मुताबिक ‘सामान्य से कम बारिश’ की 55 फीसदी संभावना है।
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भारत में मानसून की शुरूआत आम तौर पर केरल से जून के पहले सप्ताह में होती है जो सितम्बर तक देश के विभिन्न हिस्सों में जारी रहती है। गौरतलब है कि करीब 2 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि केंद्रित है, जो पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। भारत में सालाना होने वाली बारिश में मानसून की हिस्सेदारी 70 फीसदी से अधिक होती है। मौसम एजैंसी का यह अनुमान हालांकि 2 महीने पहले (फरवरी) के उस अनुमान से मेल नहीं खाता है, जिसमें कहा गया था कि इस बार सामान्य बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग से जुड़े सरकारी अधिकारियों ने भी इस साल अच्छी बारिश की संभावना जताई थी।

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सूखा पड़ने से इनकार नहीं
स्काईमेट ने कहा कि 2019 में मानसून एल.पी.ए. का 93 प्रतिशत (+-5 प्रतिशत) रहेगा, जिससे जून से सितम्बर के बीच सामान्य से कम बारिश होगी। उसने कहा कि हमें लगता है कि सूखा पडऩे की संभावना 15 प्रतिशत है, जबकि अत्यधिक बारिश की कोई संभावना नहीं है। एल.पी.ए. के 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच की स्थिति सामान्य मानसून की होती है।
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क्या है अलनीनो
अलनीनो प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के गर्म हो जाने की घटना को कहा जाता है, जिसकी शुरूआत दिसम्बर के आखिर से ही हो जाती है। इससे हवाओं का न केवल रुख बदल जाता है बल्कि इसकी रफ्तार भी परिवर्तित हो जाती है। मौसम में होने वाले इस बदलाव के कारण कहीं सूखा पड़ जाता है तो कहीं बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसका असर भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से होता है।

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