कोरोना वायरस: लेट टेस्टिंग होने से भारत में बढ़ रहा है कोरोना संक्रमण का खतरा

Edited By Chandan,Updated: 23 Mar, 2020 06:33 PM

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दुनियाभर में तीन लाख से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। जबकि कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 13 हजार से ज्यादा हो चुकी है। वहीँ इटली में कोरोना का कहर चीन से भी ज्यादा है। इटली में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा चीन के आंकड़ों को भी...

नई दिल्ली। दुनियाभर के देशों में हाहाकार मचाने वाला कोरोना वायरस भारत में तेजी से पकड़ बनाता जा रहा है। देश में अब तक कोरोना की वजह से 9 मौतें हो चुकी हैं और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ कर 434 हो चुकी है। हालत ऐसे है कि भारत समेत 35 से ज्यादा देशों में लॉकडाउन के हालात पैदा हो गए हैं।

दुनियाभर में तीन लाख से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। जबकि कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 13 हजार से ज्यादा हो चुकी है। वहीँ इटली में कोरोना का कहर चीन से भी ज्यादा है। इटली में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा चीन के आंकड़ों को भी पार कर चुका है।

बड़े खतरे में है भारत
इस बीच सवाल यह है कि आखिर धीरे-धीरे भारत में संक्रमित मामले क्यों बढ़ रहे हैं? कुछ रिपोर्ट्स की माने तो भारत में कोरोना वायरस की जांच कर पाने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं और इसलिए देशभर में मामले अधिक होने के बाद भी इनकी ज्यादा जांच नहीं हो पा रही है। जबकि कोशिश करते हुए भी पर्याप्त साधनों के आभाव में सही आंकड़े जुटा पाना संभव नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य सम्बंधित कमियों से वैसे ही भारत जूझता रहता है ऐसे में कोरोना वायरस के प्रकोप से बच पाने में भारत कमजोर ही दिख रहा है।  

पर्याप्त नहीं हैं सुविधाएं
भारत के पास स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 84000 लोगों पर एक आइसोलेशन बेड और 36000 लोगों पर एक क्वारंटीन बेड उपलब्ध है। जबकि देश में 11600 लोगों के लिए एक डॉक्टर और 1826 लोगों के लिए एक हॉस्पिटल उपलब्ध है।

स्लो टेस्टिंग का कारण
इतना ही नहीं भारत ने टेस्टिंग के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से तकरीबन 10 लाख किट और माँगी हैं। वहीँ, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने यह भी दावा किया है कि 23 मार्च तक भारत में दो ऐसे लैब तैयार हो जाएंगे जहाँ 1400 टेस्ट रोज हो सकेंगे। जबकि आईसीएमआर भारत में कोरोना वायरस की जांच के लिए सिर्फ 111 सरकारी लैब हैं और अब सरकार ने प्राइवेट लैब को भी कोरोना की जांच की इजाजत दे दी है।

क्या कहते हैं टेस्टिंग आंकड़े
वहीँ, आईसीएमआर के आंकड़ों की माने तो भारत में जब 16 हजार 109 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जांच हुई थी तब 342  लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। जबकि इसकी तुलना में जब अमेरिका में एक लाख 41 हजार 591 लोगों के कोरोना की जांच की गई तो कोरोना के 26 हजार 905 मरीज संक्रमित पाए गए।

वहीँ, जब जर्मनी में 1 लाख 67 हजार लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जांच की गई, तो 23 हजार 129 लोग कोरोना संक्रमित मिले। जबकि ब्रिटेन में 64 हजार 621 लोगों की  कोरोना जांच में 5 हजार 18 लोग संक्रमित निकले।

इटली की बात करें तो इटली में 2 लाख 6 हजार 886 लोगों के कोरोना संक्रमण की जांच में 53 हजार 578 मामले सामने आए। जबकि दक्षिण कोरिया में तीन लाख 16 हजार 664 लोगों के कोरोना की जांच पर 8 हजार 897 पॉजिटिव मामले सामने आए। इसी तरह जब फ्रांस में 36 हजार 747 लोगों के संक्रमित होने की जांच की गई तो 14 हजार 459 लोग पॉजिटिव पाए गए।

भयावह हो सकते हैं परिणाम
अब इन आंकड़ों के आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की जांच कर पाना मुश्किल हो रहा है। यदि भारत में जांच की संख्या बढ़ा दी जाये तो निश्चित ही कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या अधिक हो जाएगी। इस बीच यदि इस बात का अंदाजा लगाया जाए कि जिस रफ्तार से भारत में धीरे-धीरे कोरोना के संक्रमित होने का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, अगर वही सही जांच के साधनों के साथ किया जाता तो यह मान लेना चाहिये कि भारत एक खतरनाक स्तिथि में है।

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