सोनिया गांधी का आरोप- मोदी सरकार ने RTI कानून की चढ़ा दी बलि

Edited By vasudha,Updated: 31 Oct, 2019 04:32 PM

sonia gandhi attack on modi government about rti law

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में संशोधनों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने एजेंडे के तहत संशोधित कानून के माध्यम से सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता की बलि चढ़ा दी...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में संशोधनों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने एजेंडे के तहत संशोधित कानून के माध्यम से सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता की बलि चढ़ा दी। सोनिया ने यह दावा भी किया कि अब मोदी सरकार अपनी चापलूसी करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और अपनी जवाबदेही से बच जाएगी। 

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की सबसे गौरवशाली उपलब्धियों में से एक ‘सूचना का अधिकार कानून' था जो 2005 में बना था। इस ऐतिहासिक कानून ने सूचना आयोग जैसी संस्था को जन्म दिया, जिसने पिछले 13 साल में प्रजातंत्र के मायने बदलकर शासन तथा प्रशासन में पारदर्शिता लाने एवं सरकारों की आम जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून ने सरकार एवं नागरिकों के बीच उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारी का सीधा संबंध स्थापित किया तथा भ्रष्टाचारी आचरण पर निर्णायक प्रहार भी किया। पूरे देश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन, सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता के आकलन तथा नोटबंदी और चुनाव जैसी प्रक्रियाओं की कमियों को उजागर करने के लिए इस कानून का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।

 

सोनिया ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार आरटीआई की संस्था को अपने निरंकुश एजेंडा को लागू करने में एक बड़ी अड़चन के तौर पर देखती आई है। यह कानून जवाबदेही मांगता है और भाजपा सरकार किसी भी तरह के जवाब देने से साफ-साफ गुरेज करती आई है। उन्होंने दावा किया कि इसीलिए भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में एक एजेंडा के तहत केंद्र और राज्यों में बड़ी संख्या में सूचना आयुक्तों के पद रिक्त पड़े रहे। यहां तक कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी दस महीने तक खाली रहा। इसके पीछे मोदी सरकार का लक्ष्य आरटीआई कानून को प्रभावहीन एवं दंतविहीन करना था। 

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अब आरटीआई कानून पर अपना निर्णायक प्रहार भी कर दिया है। इस कानून की प्रभावशीलता को और अधिक कमजोर करने के लिए मोदी सरकार ने ऐसे संशोधन पारित किए हैं, जो सूचना आयुक्तों की शक्तियों को संस्थागत तरीके से कमजोर करके उन्हें सरकार की अनुकंपा के अधीन कर देंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार के खिलाफ सूचना जारी करने वाले किसी भी सूचना अधिकारी को अब तत्काल हटाया जा सकता है या फिर पद से बर्खास्त किया जा सकता है। इससे केंद्र और राज्य के सभी सूचना आयुक्तों का अपने कर्तव्य का निर्वहन करने तथा सरकार को जवाबदेह बनाने का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा। 

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