सोनिया गांधी ने बोला मोदी सरकार पर हमला, कहा- PMO तक सीमित रह गई हैं सारी शक्तियां

Edited By Yaspal,Updated: 22 May, 2020 06:10 PM

sonia gandhi said attack on modi government said all powers are limited to pmo

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए सरकार के पास कोई रणनीति नहीं होने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि संकट के इस समय भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं। प्रमुख विपक्षी दलों की वीडियो कांफ्रेंस के...

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए सरकार के पास कोई रणनीति नहीं होने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि संकट के इस समय भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं। प्रमुख विपक्षी दलों की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में संघवाद की भावना को भूला दिया गया है और विपक्ष की मांगों को अनसुना कर दिया गया।
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सोनिया ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई। ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है। मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी। उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करने और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ।
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सोनिया के मुताबिक, हममें से कई समान विचारधारा वाली पार्टियां मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, सभी परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेन की सुविधा दी जाए। हमने यह मांग भी की थी कि कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए ‘वेतन सहायत कोष' बनाया जाए। हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ कई जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में हमारे देश की विकास दर -5 प्रतिशत हो सकती है। इसके नतीजे भयावह होंगे।''
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सोनिया ने कहा, ‘‘ मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उसके पास गरीबों एवं कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति करूणा का नहीं होना हृदयविदारक बात है।'' उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने खुद के लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है। सारी शक्तियां पीएमओ तक सीमित हो गई हैं। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का अभिन्न भाग है, उसे भूला दिया गया है। इसका कोई संकेत नहीं है कि संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों की बैठक कब बुलाई जाएगी।'' सोनिया ने विपक्षी दलों के नेताओं से कहा, ‘‘रचनात्मक आलोचना करना, सुझाव देना, और लोगों की आवाज बनना हमारा कर्तव्य है। इसी भावना के साथ हम बैठक कर रहे हैं।''

 

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