अगर सूरज एक मिनट के लिए 'गायब' हो जाए तो क्या होगा? होगा अनूठा खगोलीय अनुभव और जानें क्या- क्या

Edited By Updated: 08 Jul, 2025 08:16 AM

sun  disappeared  for a minute unique astronomical experience

कल्पना कीजिए... दोपहर का समय है, सूरज चमक रहा है और अचानक... पूरा आसमान काले अंधेरे में बदल जाए! परछाइयाँ मिट जाएं, पक्षी चुप हो जाएं, और कुछ पल के लिए लगे जैसे दिन में रात उतर आई हो। सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन सोचिए...

नेशनल डेस्क: कल्पना कीजिए... दोपहर का समय है, सूरज चमक रहा है और अचानक... पूरा आसमान काले अंधेरे में बदल जाए! परछाइयाँ मिट जाएं, पक्षी चुप हो जाएं, और कुछ पल के लिए लगे जैसे दिन में रात उतर आई हो। सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन सोचिए अगर वाकई सूरज सिर्फ एक मिनट के लिए 'बंद' हो जाए या कहें, अदृश्य हो जाए - तो क्या होगा? क्या तबाही मच जाएगी? क्या जीवन ठहर जाएगा? आइए, जानते हैं कि विज्ञान इस काल्पनिक पर दिलचस्प सवाल पर क्या कहता है।

 सूरज 'बंद' हुआ, लेकिन हमें तुरंत पता क्यों नहीं चलेगा?
सबसे पहले, अगर सूरज अचानक 'बंद' हो जाए, तो भी हमें इसका असर तुरंत महसूस नहीं होगा। इसका कारण ये है कि सूरज की रोशनी को धरती तक पहुंचने में लगभग 8 मिनट 20 सेकंड लगते हैं। यानी, अगर सूरज अभी बंद हुआ, तो भी अगली साढ़े 8 मिनट तक हमें उसकी रोशनी और गर्मी मिलती रहेगी।

इसका मतलब है कि अगर सूरज सिर्फ 1 मिनट के लिए बंद होता है, तो उसकी रोशनी और ऊर्जा उस पूरे समय तक धरती तक आती रहेगी। इस लिहाज से, धरती पर रहने वाले किसी इंसान को उस एक मिनट का प्रत्यक्ष अनुभव ही नहीं होगा।

 अगर महसूस हुआ, तो कैसा लगेगा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर सूरज की रोशनी अचानक बंद हो जाए, चाहे एक मिनट के लिए ही क्यों न हो तो ये एक अनूठा खगोलीय अनुभव होगा। यह किसी पूर्ण सूर्यग्रहण जैसा अनुभव दे सकता है, जब दिन में कुछ मिनट के लिए अंधेरा छा जाता है। कुछ लोग चौंक सकते हैं, पक्षी भ्रमित हो सकते हैं, और संभव है कि कुछ जगहों पर ट्रैफिक में हल्का-फुल्का हड़कंप मच जाए। लेकिन, कोई भौतिक या थर्मल नुकसान नहीं होगा। हमारी पृथ्वी वातावरण और महासागरों के कारण थोड़ी देर की गर्मी की कमी को सह सकती है। एक मिनट में न तो तापमान बदलेगा, न ही जीवन के लिए खतरा पैदा होगा।

 अगर सूरज ज्यादा देर के लिए ‘गायब’ हो जाए तो?
अब अगर यही स्थिति एक सप्ताह, एक महीना, या एक साल तक बनी रहे, तो परिणाम बेहद खतरनाक और विनाशकारी होंगे:

 1 सप्ताह:
छोटे पौधे प्रकाश संश्लेषण बंद होने से मरने लगेंगे।
तापमान गिरकर 0°C के आसपास पहुंच सकता है।
मौसम का चक्र पूरी तरह बिगड़ जाएगा।

 1 महीना:
ज़्यादातर पौधों की मृत्यु।
जानवरों में भोजन की कमी।
समुद्र की सतह धीरे-धीरे जमने लगेगी।

 1 साल:
धरती का तापमान -100°C तक गिर सकता है।
महासागर जमने लगेंगे।
मानव सभ्यता का अंत शुरू हो जाएगा।

कई सालों तक:
-तापमान गिरकर -240°C तक पहुंच जाएगा (जो लगभग शून्य केल्विन के करीब है)।
-वातावरण जम जाएगा, हवा बहना बंद हो जाएगी।
-सभी जीव-जंतु और पौधे नष्ट हो जाएंगे, सिवाय समुद्रों की गहराइयों में रहने वाले कुछ बैक्टीरिया के।

 मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव?
-अगर लोगों को अचानक पता चले कि सूरज ‘गायब’ हो गया है—even for a short time—तो इसका मनोवैज्ञानिक असर बहुत बड़ा हो सकता है।
-कुछ धार्मिक समूह इसे अशुभ संकेत मान सकते हैं।
-इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़ आ सकती है।
-दहशत फैल सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही अंधविश्वास अधिक है।

 क्या इंसान बच पाएगा?
अगर सूरज लंबे समय के लिए गायब हो जाए, तो इंसानों को पृथ्वी के अंदरूनी हिस्सों में शरण लेनी पड़ सकती है, जहां भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करके कृत्रिम शहर बनाए जा सकते हैं। लेकिन यह केवल कुछ हजार लोगों तक ही सीमित होगा। बाकी पूरी सभ्यता बर्फ में ढंक जाएगी।

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