Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Oct, 2018 12:54 PM
मौसम करवट बदलते ही उत्तप भारत में बीमारियों का खतरा बढ़ना शुरू हो गया है। जहां हाल ही में दिल्ली में डेंगू के 600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं वहीं स्वाइन फ्लू (H1N1 वायरस) भी एक बार फिर से राजधानी में दस्तक दे दी है।
नई दिल्ली: मौसम करवट बदलते ही उत्तप भारत में बीमारियों का खतरा बढ़ना शुरू हो गया है। जहां हाल ही में दिल्ली में डेंगू के 600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं वहीं स्वाइन फ्लू (H1N1 वायरस) भी एक बार फिर से राजधानी में दस्तक दे दी है। दिल्ली के अस्पतालों में हाल ही के दिनों में स्वाइन फ्लू के कई मामले सामने आए हैं। स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले एम्स, सफदरजंग, सरगंगा राम अस्पताल और RML में सामने आए हैं। RML अस्पताल की प्रवक्ता के मुताबिक उनके 76 मामले ऐसे आए हैं जिनमें H1N1 वायरस पाया गया। इनमें से सात केस पॉजिटिव पाए गए। सफदरजंग अस्पताल में तीन मामले सामने आए हैं। अस्पताल में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। वहीं डॉक्टरों ने लोगों से सावधानी बरतने और समय पर सही इलाज लेने की सलाह दी है।
स्वाइन का कारण
स्वाइन फ्लू के लक्षण वैसे तो आम फ्लू की तरह ही होते हैं लेकिन अगर मरीज का समय पर इलाज न तो उसकी मौत भी हो सकती है। स्वाइन फ्लू का वायरस सूअर से फैलता है और इसमें पहले मरीज का गला खराब होता है फिर खांसी और उसके बाद तेज बुखार हो जाता है। स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में होता है और इससे पीड़ित शख्स के खांसने, छींकने या थूकने से ही यह सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।
लक्षण
- नाक का लगातार बहना, छींकें आना
- गले में कफ और खांसी
- मांसपेशियों में दर्द या अकड़न होना
- सिर में बहुत तेज दर्द होना
- नींद न आना और शरीर का ज्यादा थकना
- दवा खाने पर भी बुखार का कम न होना
- पेट में दर्द जैसी शिकायत का होना
बचाव
- इससे पीड़ित शख्स को ज्यादातर आराम करना चाहिए।
- खूब पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
- शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं।
- बीमारी के बढ़ने पर ऐंटी-वायरल दवा टैमी फ्लू और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है लेकिन ये सारी दवाएं डॉक्टरों के परामर्श के बिना न लें।