प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से जीतना सिखाएगी तरुण राज अरोड़ा की नई किताब

Edited By Varsha Yadav,Updated: 21 Apr, 2024 03:39 PM

tarun raj arora s new book will teach you how to win administrative officers

बेस्टसेलर लेखक तरूण राज अरोड़ा की दूसरी किताब 'हार के उस पार-2' प्रकाशित होने जा रही है। यह किताब देश के कुछ चुनिंदा प्राशासनिक अधिकारियों के जीवन में आई चुनौतियों पर आधारित होगी।

नई दिल्ली। मोटिवेशनल किताबों ने पिछले कुछ समय में पाठकों के बीच मज़बूत जगह बनाई है। जहाँ एक तरफ़ भारतीय मोटिवेशनल स्पीकर्स के वीडियो लगातार दर्शकों के बीच सुपरहिट हो रहे हैं, वहीं मोटिवेशनल किताबें भी इस रेस में बराबर तेज़ी से चल रही हैं। आलम ये है कि जहाँ पाठक अपने प्रिय लेखक की अगली किताब का इंतज़ार करते हैं, वहीं लेखक भी सफल किताबों की सीक्वेल निकालते नज़र आ रहे हैं। 

 

बेस्टसेलर लेखक तरूण राज अरोड़ा की दूसरी किताब 'हार के उस पार-2' प्रकाशित होने जा रही है। यह किताब देश के कुछ चुनिंदा प्राशासनिक अधिकारियों के जीवन में आई चुनौतियों पर आधारित होगी। इसका विमोचन इसी वर्ष किया जाएगा। इस किताब की तैयारी बड़े जोरों से और उत्साहपूर्वक चल रही है। 

 

तरुण राज अरोड़ा के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यह किताब, उनकी बेस्टसेलर रही बहुचर्चित किताब 'हार के उस पार' सीरीज की दूसरी किताब है। इस सीरीज की तीन किताबें प्रकाशित होनी हैं, जिनमें से यह दूसरी किताब है। 'हार के उस पार' की सफलता के बाद तरुण की अगली किताब उनके पाठकों के बीच प्रतीक्षित है। 


 
उल्लेखनीय है कि 'हार के उस पार-1' में दुनिया के बीस सबसे सफल बिजनेस टायकून्स के उस संघर्ष को रेखांकित किया गया है, जिस संघर्ष से हो कर, हार के भय को पछाड़ते हुए, इन व्यवसायियों ने ख़ुद को दुनिया के शीर्ष पर खड़ा किया। ये बीस उद्योगपति दुनिया के सबसे चर्चित बिज़नेसेज़ के प्रमुख हैं। श्रृंखला की पहली किताब में यही बताया गया है कि आज जो उद्योग इतने सफल दिख रहे है, वो भी कभी न कभी हार के अंधेरों से निकल कर आये हैं। 

 

इस सीरीज की अंतिम और तीसरी किताब 'हार के उस पार -3' में दुनिया के सबसे सशक्त 20 राष्ट्राध्यक्षों की हार और जीत‌ कहानियाँ होंगी। ये राष्ट्राध्यक्ष कौन-कौन होंगे और इसका प्रकाशन कब होगा, इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है। 

 

यदि पिछले एक वर्ष के आंकड़े देखे जाएं तो बीते समय में विभिन्न प्रकाशनों ने दो तरह की किताबों पर अत्यधिक जोर दिया है जिसमें एक धार्मिक किताबें हैं और दूसरी मोटिवेशनल किताबें हैं। सोशल मीडिया पर भी धार्मिक और मोटिवेशनल वीडियो की भरमार है। विशेषकर मोटिवेशनल वीडियो को व्यूज भी बहुत अच्छे मिलते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका एक कारण तो यह है कि वर्तमान समय में एक आम आदमी के जीवन में स्ट्रेस का लेवल बढ़ा है और वह अपने स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए मोटिवेशनल वीडियोज़ देखता है। दूसरी तरफ कोविड के बाद अब भी बड़ी संख्या में लोग सामान्य मनुष्य स्थिति में नहीं आ पाए हैं और मोटिवेशनल कंटेंट उन्हें सामान्य करने में मदद करता है। यही स्थिति मोटिवेशनल किताबों के साथ भी है। 

 

यदि हम वर्तमान में प्रकाशित होने की प्रक्रिया से गुजर रही किताब की बात करें, तो 'हार के उस पार-2' में देश के कुछ चुनिंदा प्रशासनिक अधिकारियों की संघर्ष की कहानियाँ होंगी। इन कहानियों को ये अधिकारी स्वयं बयां करेंगे और फिर तरुण इसे एक पुस्तक के रूप में संकलित करेंगे। ये आईएएस और आईपीएस ऑफ़िसर बताएंगे कि उन्होंने स्वयं को हार के क्षणों से किस प्रकार निकाला और जीत को अपने पाले में किस प्रकार किया। इसमें कुल कितने अधिकारियों की कहानियों का संकलन होगा, यह आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है। इसके लिए तरुण अभी से कई प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में हैं। इसके लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है और कहानियाँ संग्रहित की जा रही हैं। 

 

पिछली किताब की तरह इस किताब का सम्पादन भी बॉलीवुड लेखक प्रबुद्ध सौरभ करेंगे। उन्हें पूरा विश्वास है कि पिछली किताब की तरह ही यह किताब भी बेस्ट सेलर बनेगी तथा हार के घोर अन्धकार में भी पाठकों को जीत की रोशनी का रास्ता दिखाएगी। 

 

हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में तरुण ने कहा था कि मोटिवेशनल किताबों की बाढ़ के बीच 'हार के उस पार' ने बेस्टसेलर होने का गौरव इसलिए हासिल किया था कि इसमें रियल लाइफ कहानियाँ थीं। लोग सबसे अधिक प्रभावित रियल लाइफ कहानियों से होते हैं। उसी समय तरुण ने तय कर लिया था कि उनकी अगली किताब भी रियल लाइफ स्टोरी पर ही आधारित होगी। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की कहानियों का संकलन लाने का मन उन्होंने लगभग तीन महीने पहले बनाया। 

 

तरुण इस किताब को ले कर लगातार प्रशासनिक अधिकारियों के सम्पर्क में हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी न केवल इस किताब के लिए अपेक्षित सहयोग कर रहे हैं बल्कि बड़े उत्साह से अपनी कहानी भी बता रहे हैं। उनका भी मानना है कि यदि उनके संघर्ष की कहानियों से लोगों को मोटिवेशन मिलता है और इससे किसी की ज़िन्दगी आसान होती है तो अधिक से अधिक अधिकारी अपनी कहानी बताने के इच्छुक होंगे। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने तो यहाँ तक कहा कि जिस तरह से अपने पोस्ट पर बैठ कर वो देश की सेवा कर रहे हैं, वैसे ही अपने संघर्ष की कहानी से भी वे जनता की सेवा ही करेंगे।

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