शिवसेना के नाम और निशान पर हक ठाकरे या शिंदे गुट का? चुनाव आयोग में अब 20 जनवरी को सुनवाई

Edited By Updated: 17 Jan, 2023 10:34 PM

thackeray or shinde faction has right on name and symbol of shiv sena

शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत धड़े ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि पार्टी के संशोधित संविधान में खामियों पर एकनाथ शिंदे खेमे द्वारा दी गई दलीलें विरोधाभासों से भरी हैं

नई दिल्लीः शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत धड़े ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि पार्टी के संशोधित संविधान में खामियों पर एकनाथ शिंदे खेमे द्वारा दी गई दलीलें विरोधाभासों से भरी हैं। ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से पार्टी संगठन के नियंत्रण से जुड़े एक मामले में अपनी दलीलें पूरी करने के लिए और समय मांगा, जिसके बाद अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की गई। दिल्ली में निर्वाचन सदन में संवाददाताओं से बातचीत में ठाकरे गुट के अनिल देसाई ने कहा कि शिंदे खेमे ने दलील दी है कि उद्धव ठाकरे द्वारा संशोधित पार्टी का संविधान खामियों से भरा हुआ है और बाद में उसने दावा किया कि एकनाथ शिंदे को उसी संविधान के प्रावधानों के तहत शिवसेना का ‘मुख्य नेता' नियुक्त किया गया है।

देसाई ने कहा, “पूरी दलील विरोधाभासी थी।” ठाकरे गुट के एक अन्य नेता अनिल परब ने ‘मुख्य नेता' पद की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी संविधान में किसी व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करने के लिए कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। देसाई ने यह भी दावा किया कि शिवसेना पर अपने दावे के समर्थन में शिंदे खेमे द्वारा दायर दस्तावेज त्रुटिपूर्ण और क्रम में नहीं थे। ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि उसे तब तक शिवसेना के चुनाव चिन्ह से जुड़े विवाद पर निर्णय नहीं लेना चाहिए, जब तक कि उच्चतम न्यायालय उसके समक्ष लंबित संबंधित मामले में अपना फैसला नहीं सुना देता।

दस जनवरी को पिछली सुनवाई में शिंदे गुट के मुख्य वकील महेश जेठमलानी ने चुनाव आयोग को बताया था कि शिंदे गुट ने पार्टी को विभाजित करने के लिए पिछले साल जुलाई में एक प्रस्ताव पारित किया था, क्योंकि ठाकरे ने अपने संविधान में बदलाव कर विचारधारा से समझौता किया था। शिंदे गुट के वकीलों ने कहा था कि बालासाहेब ठाकरे ने 1981 में शिवसेना संविधान का मसौदा तैयार किया था और 1999 में चुनाव आयोग के निर्देश पर संगठनात्मक चुनावों के प्रावधान को शामिल करने के लिए इसमें बदलाव किया था। शिंदे गुट ने तर्क दिया था कि उद्धव ठाकरे को शिवसेना अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, लेकिन इसके बाद पदाधिकारियों के चुनाव नहीं हुए। मंगलवार को ठाकरे गुट के मुख्य वकील कपिल सिब्बल ने बहस पूरी करने के लिए और समय मांगा, जिस पर चुनाव आयोग ने सहमति जताई और मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!