Edited By Mehak,Updated: 11 Dec, 2025 05:52 PM

नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नतिनी का हक संपत्ति के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि संपत्ति स्वयं अर्जित है तो नाती-नतिनी को सीधा अधिकार नहीं मिलता, क्योंकि मालिक अपनी मर्जी से जिसे चाहें उसे दे सकते हैं। पुश्तैनी संपत्ति में हक माता के हिस्से के आधार...
नेशनल डेस्क : प्रॉपर्टी को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं, खासकर नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नतिनी का हक होता है या नहीं। कई लोग सोचते हैं कि सिर्फ पारिवारिक रिश्ते से ही संपत्ति में अधिकार मिल जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति किस प्रकार की है और इसे कौन आगे बढ़ाता है।
संपत्ति के प्रकार और अधिकार
भारत में नाना-नानी की संपत्ति मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
1. स्वयं अर्जित (Self-Acquired) संपत्ति:
- यह संपत्ति नाना-नानी ने खुद कमाई होती है।
- इस पर पूरा अधिकार मालिक का होता है।
- मालिक अपनी मर्जी से इसे किसी को भी दे सकते हैं या किसी को बाहर रख सकते हैं।
- इस मामले में नाती-नतिनी को स्वतंत्र कानूनी अधिकार नहीं मिलता।
2. पुश्तैनी (Ancestral) संपत्ति:
- यह संपत्ति परिवार से मिलती है और पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही होती है।
- पुश्तैनी संपत्ति में परिवारिक अधिकार के आधार पर हिस्सा तय होता है।
- नाती-नतिनी का हक तभी बनता है जब उनकी मां अपने हिस्से का अधिकार उन्हें देती है।
- यह अधिकार सीधे नाती-नतिनी को नहीं मिलता।
बेटी और नाती-नतिनी का अधिकार
- अगर परिवार में सिर्फ एक बेटी है, तो कानून उसे और उसके बच्चों को कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं देता।
- बेटी का हक समान होता है, लेकिन नाती-नतिनी का हक तभी बनता है जब संपत्ति पहले बेटी के हिस्से में आती है।
- माता-पिता की स्वयं अर्जित संपत्ति में बेटी सीधे उत्तराधिकारी नहीं बनती।
वसीयत से नाती-नतिनी को अधिकार
- अगर नाना-नानी चाहते हैं कि उनकी संपत्ति सीधे नाती-नतिनी को मिले, तो इसके लिए वसीयत बनानी जरूरी है।
- बिना वसीयत के संपत्ति समान रूप से legal heirs में बांटी जाती है।