पांच अगस्त को समाप्त हो जाएगी संघर्ष की यात्रा, करोड़ों रामभक्तों का सपना होगा पुरा

Edited By vasudha,Updated: 03 Aug, 2020 03:14 PM

the journey of struggle will end on august 5

करीब पांच सदियों के लंबे इंतजार के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली में भव्य राम मंदिर का करोड़ों रामभक्तों का सपना पांच अगस्त को मूर्त रूप ले लेगा और इसके साथ ही धार्मिक पर्यटन के महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरे अयोध्या में विकास की एक...

नेशनल डेस्क: करीब पांच सदियों के लंबे इंतजार के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली में भव्य राम मंदिर का करोड़ों रामभक्तों का सपना पांच अगस्त को मूर्त रूप ले लेगा और इसके साथ ही धार्मिक पर्यटन के महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरे अयोध्या में विकास की एक नयी गाथा का अध्याय शुरू होगा। रामजन्मस्थली पर राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पांच अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह बाद 1230 बजे से 1240 बजे के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामलला के मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। 

 

अयोध्या में लम्बे समय से रामलला के मंदिर के लिये चले आ रहे संघर्ष की यात्रा अब समाप्त होती नजर आ रही है। यहां से राम मंदिर निर्माण के रूप में एक नई शुरुआत होगी, जिसमें आस्था ही नहीं बल्कि विकास और प्रगति की एक नई राह खुलने की कई योजना आयेंगी। अयोध्या में रामजन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिये एक व्यापक आंदोलन का इतिहास रहा है जिसमें भारत विजय के बाद मुगल शासक बाबर द्वारा 434 वर्ष पहले अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर मस्जिदनुमा ढांचे का निर्माण कराया गया था जिसे सुधारते हुए सुप्रीम कोटर् ने राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त कर दिया और अब पांच अगस्त से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उसका भूमि पूजन होने जा रहा है।

 

इतिहासकारों के अनुसार 1528 में अयोध्या में हिंदू मंदिर को हटाकर मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट ने किया था, इसलिये इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। 1853 में पहली बार इस जगह के पास साम्प्रदायिक दंगे हुए थे जिसके बाद 1859 में ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।   


वर्ष 1885 में निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिये मुकदमा किया था और अदालत से मांग थी कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की अनुमति दी जाय। यह मांग खारिज हो गयी और 1946 में विवाद उठा कि बाबरी मस्जिद शियाओं की है, या सुन्नी को तो यह फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी था इसलिये सुन्नियों की मस्जिद है। 1949 जुलाई में प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की कवायद शुरू की लेकिन यह भी नाकाम रही। इसी साल 22,23 दिसम्बर को राम, सीता व लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गयीं। 

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