फिर सामने आया आंख फोड़वा कांड, मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद दो महिलाओं की निकाली आंख

Edited By vasudha,Updated: 19 Aug, 2019 06:00 PM

two women have eyes removed after cataract surgery

मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान एक स्थानीय अस्पताल में कथित तौर पर बैक्टीरिया के घातक संक्रमण से 11 मरीजों के नेत्र की रोशनी जाने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दो अन्य पीड़ित महिलाओं के बारे में खुलासा हुआ है कि संक्रमण ज्यादा फैलने से डॉक्टरों को उनकी...

इंदौर: मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान एक स्थानीय अस्पताल में कथित तौर पर बैक्टीरिया के घातक संक्रमण से 11 मरीजों के नेत्र की रोशनी जाने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दो अन्य पीड़ित महिलाओं के बारे में खुलासा हुआ है कि संक्रमण ज्यादा फैलने से डॉक्टरों को उनकी एक-एक आंख निकालनी पड़ी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने इसकी जानकारी दी। 

 

प्रवीण ने बताया कि इंदौर नेत्र चिकित्सालय में मुन्नी बाई रघुवंशी (60) और राधा यादव (45) का पांच अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद दोनों मरीजों की संबंधित आंख में बैक्टीरिया का संक्रमण ज्यादा फैल गया था। नतीजतन 13-14 अगस्त को डॉक्टरों को एक और सर्जरी के जरिये दोनों मरीजों की एक-एक आंख निकालनी पड़ी थी। अगर संक्रमण मरीजों के मस्तिष्क तक पहुंच जाता, तो उनकी जान को खतरा भी हो सकता था। जड़िया ने कहा कि वर्तमान में दोनों मरीजों के शरीर में बैक्टीरिया का संक्रमण नहीं है। उनकी संक्रमित आंख निकाले जाने के ऑपरेशन के बाद उनके घाव सूख रहे हैं। घाव सूखने के बाद आंख की खाली जगह पर कॉस्मेटिक सर्जरी के जरिये कृत्रिम आंख लगायी जायेगी।

 

मध्य प्रदेश सरकार बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशन के शिकार आठ मरीजों का इलाज इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में करा रही है, जबकि तीन गंभीर मरीजों को चेन्नई के शंकर नेत्रालय भेजने का निर्णय किया गया है। चोइथराम हॉस्पिटल के मैनेजिंग ट्रस्टी अश्विनी वर्मा ने बताया कि आंख गंवाने वाली दोनों महिलाओं को 10 दिन बाद दोबारा बुलाया गया है। इस बीच, गैर सरकारी स्वास्थ्य नेटवर्क "जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश" ने इंदौर नेत्र चिकित्सालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं। नेटवर्क के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा कि इस अस्पताल में दोनों महिलाओं के पांच अगस्त को किये गये मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान कथित बैक्टीरिया संक्रमण फैल गया था। इसके बावजूद मेडिकल प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए अस्पताल में नये मरीजों की नेत्र सर्जरी की जाती रही। नतीजतन आठ अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन से गुजरे 11 अन्य मरीजों की संबंधित आंख की रोशनी भी कथित संक्रमण के कारण चली गयी।" इंदौर नेत्र चिकित्सालय एक परमार्थिक ट्रस्ट चलाता है। 

 

अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक सुधीर महाशब्दे ने दावा किया कि हमने मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान तमाम मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन किया था। जैसे ही हमें पुराने मरीजों में बैक्टीरिया संक्रमण के बारे में पता चला, हमने नये नेत्र ऑपरेशनों का सिलसिला रोक दिया था।" इस बीच, इंदौर नेत्र चिकित्सालय में बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशन के कारण एक-एक आंख गंवाने वाली दोनों महिलाओं के तीमारदारों ने आपबीती सुनायी। राधा यादव (45) के भाई अजय यादव ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने हमसे सीधे पूछा था कि हमें मरीज की आंख चाहिये या उसकी जिंदगी?

 

मुन्नी बाई रघुवंशी (60) के नाती शुभम रघुवंशी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मेरी नानी को संबंधित आंख में असहनीय दर्द हो रहा था। उन्हें इस आंख से कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। डॉक्टरों की राय के बाद हमारे पास उनकी इस आंख को निकलवाने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं था। बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के शिकार मरीजों के इलाज के लिये प्रदेश सरकार के बुलावे पर चेन्नई से इंदौर आये वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक राजीव रमण ने बताया था कि मरीजों की संबंधित आंख में "स्यूडोमोनस" बैक्टीरिया का घातक संक्रमण हुआ। रमण को संदेह है कि मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान या इनके बाद के इलाज के दौरान प्रयुक्त किसी द्रव या अन्य तरल पदार्थ के कारण यह संक्रमण हुआ।


 

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