Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Jun, 2018 08:51 AM
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार शाम यहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके आवास ‘मातोश्री’ में मुलाकात की। इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दोनों गठबंधन सहयोगी दलों के संबंधों में पिछले कुछ समय से खटास आई है। बैठक में महाराष्ट्र...
मुंबई: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार शाम यहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके आवास ‘मातोश्री’ में मुलाकात की। इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दोनों गठबंधन सहयोगी दलों के संबंधों में पिछले कुछ समय से खटास आई है। बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। यह बैठक करीब दो घंटे चली।वहीं राजनीतिक मतभेद को दरकिनार कर ठाकरे परिवार ने शाह की जमकर मेहमाननवाजी की। उनको ढोकला, खांडवी और आमरस समेत अन्य पकवान का स्वाद चखाया। बैठक में क्या चर्चाएं हुईं , इस बारे में दोनों तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन भाजपा सूत्रों ने दावा किया कि बातचीत ‘सकारात्मक’ रही और इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने में मदद मिलेगी।
शाह ने देर रात भाजपा नेताओं संग की बैठक
ठाकरे से मिलने के बाद भाजपा अध्यक्ष शाह ने रात में राज्य की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी से मुलाकात की। राज्य सरकार के अतिथि गृह में देर रात हुई बैठक में फडणवीस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रावसाहेब दानवे सहित अन्य उपस्थित थे। दिन में माधुरी दीक्षित नेने और उद्योगपति रतन टाटा से शाह की मुलाकात के दौरान उपस्थित रहे दानवे, ठाकरे के साथ बैठक में मौजूद नहीं थे। दानवे ने संवाददाताओं से कहा कि मेरा कार्यक्रम पहले से तय था। मैं संगठन के काम में व्यस्त था।’’ भाजपा ने इससे पहले कहा था कि यह बैठक अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उसके ‘ सम्पर्क फॉर समर्थन ’ अभियान को लेकर थी जिसका नेतृत्व शाह कर रहे हैं।
पीएम मोदी से खिन्न है शिवसेना
गठबंधन सहयोगी दोनों पायों ने पालघर लोकसभा सीट के लिए गत 28 मई को हुआ उपचुनाव अलग-अलग लड़ा था और प्रचार के दौरान दोनों ने एकदूसरे पर जमकर हमले किए थे। शिवसेना विशेष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खिन्न है और उसने लगातार उन पर हमले किए हैं। शिवसेना पहले ही घोषणा कर चुकी है कि 2019 वह अकेले ही चुनाव लड़ेगी। दोनों दल ढाई दशक से अधिक समय तक सहयोगी रहे लेकिन 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ने अपने संबंध तोड़ लिए। बाद में राज्य में फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए दोनों ने फिर से हाथ मिला लिया।