Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 11:48 AM
उत्तर प्रदेश में लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा गोरखपुर व फूलपुर दोनों सीटें हार गई। दोनों सीटों पर जीत दर्ज कराने वाले सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशियों को उतने ही मत मिले हैं जितने की उन्हें 2014 के आम चुनाव में अलग अलग मिले थे। वहीं भाजपा...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश में लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा गोरखपुर व फूलपुर दोनों सीटें हार गई। दोनों सीटों पर जीत दर्ज कराने वाले सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशियों को उतने ही मत मिले हैं जितने की उन्हें 2014 के आम चुनाव में अलग अलग मिले थे। वहीं भाजपा प्रत्याशियों को पिछले चुनाव की तुलना में बहुत कम मत हासिल हुआ। उपचुनाव में मतदान प्रतिशत में आई कमी का सारा नुकसान सीधे भाजपा को हुआ है। भाजपा के समर्थक मतदाता उप चुनाव में घरों से नहीं निकले। ऐसा क्यों हुआ खुद भाजपा को इसका जवाब तलाशना होगा।
लोकसभा चुनाव रहा हो या पिछले साल प्रदेश में हुए विधानसभा के चुनाव प्रदेश में मोदी लहर थी। तो क्या अब यह लहर खत्म हो रही है? इस बार चुनाव में जहां प्रदेश में भाजपा की सरकार होने का लाभ मिलने की उम्म्मीद थी। यही नहीं जिन सीटों पर उप चुनाव हो रहे थे उनमें से एक सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा दूसरी सीट उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद के इस्तीफे से रिक्त हुई थी। यहां पर इन दोनों की निजी साख भी दांव पर लगी हुई थी। इन नेताओं ने जमकर प्रचार भी किया लेकिन भाजपा समर्थक मतदाता बूथों तक नहीं पहुंचे।
दूसरी ओर सपा व बसपा बिना किसी लहर व उम्मीद के अपने कोर समर्थकों को एक साथ लाने में सफल रहीं। यही नहीं इनके संयुक्त प्रत्याशी को दोनों दलों को 2014 में मिले कुल मत से कुछ ज्यादा ही मत मिले। इस तरह वह भाजपा को हराने में सफल हुई। इस चुनाव से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मायावती अपने वोट ट्रांसफर करा सकती हैं। मायावती ने इस उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को दोनों सीटों पर समर्थन की घोषणा ही नहीं की बल्कि बिना सपा के मंच व झंडा व बैनर साझा किए अपने वोट भी ट्रांसफर करा दिये। वहीं भाजपा अपने समर्थकों को बूथ तक लाने में असफल रही।