ममता को मौसी समझकर पश्चिम बंगाल में आते हैं बांग्‍लादेशी: विजयवर्गीय

Edited By vasudha,Updated: 31 Jul, 2018 06:50 PM

vijayvargiya attack on mamta banerjee

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा ड्राफ्ट सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है। विपक्ष दल भाजपा के इस फैसला का विरोध कर रहे हैं। संसद में भी इस मुद्दे को लेकर खूब हंगामा हुआ। वहीं इसी बीचबीजेपी के पश्चिम बंगाल के प्रदेश...

नेशनल डेस्क: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा ड्राफ्ट सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है। विपक्ष दल भाजपा के इस फैसला का विरोध कर रहे हैं। संसद में भी इस मुद्दे को लेकर खूब हंगामा हुआ। वहीं इसी बीच बीजेपी के पश्चिम बंगाल के प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर बड़ा बयान दिया है। विजयवर्गीय के अनुसार ममता बनर्जी को बांग्‍लादेशी नागरिक अपनी मौसी समझते हैं और इसीलिए वे पश्चिम बंगाल में आ जाते हैं। 
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बंगाल क्या धर्मशाला है?
भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री पर वार करते हुए कहा कि हम लोग छुट्टी मनाने मामा के घर जाते हैं और 15 दिन में लौट आते हैं। लेकिन बांग्‍लादेश के आतंकवादी और नकली नोट चलाने वाले वहां से अपनी मौसी (ममता बनर्जी) के घर आ रहे हैं। कोलकाता में कम पैसे में बांग्लादेश के मजदूर मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि असम में 50 लाख लोगों ने हमको प्रमाण पत्र नहीं दिया है, वोटर लिस्ट से हटा दिया है और दीदी यहां बोलती हैं कि असम के बांग्‍लादेशियों को हम बंगाल में स्थान देंगे, बंगाल क्या धर्मशाला है?
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अगला नंबर पश्चिम बंगाल का 
यही नहीं विजयवर्गीय में इशारा किया कि असम के बाद अगला नंबर पश्चिम बंगाल का हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर असम में NRC से 40 लाख घुसपैठिए पकड़े गए तो पश्चिम बंगाल में ये तादाद करोड़ों में है। भाजपा नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल का युवा चाहता है कि बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की पहचान हो, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतों जैसे कि बेरोजगारी और कानून व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है, बीजेपी उनकी मांगों का समर्थन करती है।

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ममता ने भाजपा पर साधा निशाना 
बता दें कि ममता बनर्जी ने असम के एनआरसी के जारी अंतिम ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को अवैध घोषित किए जाने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था उन्‍होंने इसे भाजपा की वोट पॉलिटिक्‍स करार दिया। उन्होंने कहा कि असम में अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनके पास आधार कार्ड हैं, पासपोर्ट हैं लेकिन उनके नाम मसौदा सूची से गायब हैं। मसौदा सूची से लोगों के नाम उनके सरनेम के आधार पर हटाए गए हैं। उन्‍होंने सवाल उठाया कि क्‍या सरकार लोगों को जबरन वहां से निकालना चाहती है?

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