चार दशकों में पहली बार 20 नहरों में पानी बहने लगा

Edited By Archna Sethi,Updated: 07 Aug, 2024 06:25 PM

water started flowing in 20 canals for the first time in four decades

चार दशकों में पहली बार 20 नहरों में पानी बहने लगा

चंडीगढ़, 7 अगस्त: (अर्चना सेठी) पंजाब के भूमि एवं जल संरक्षण और जल स्रोत मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज यहां कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार सिंचाई के लिए नहरों के पानी की मांग को पूरा करने के साथ-साथ प्रदेश में पानी की कमी से निपटने और टिकाऊ कृषि गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है।

चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि सिंचाई के लिए टेलों तक पानी पहुंचाने हेतु भूमि और जल संरक्षण विभाग द्वारा 2400 किलोमीटर भूमिगत पाइपलाइनें बिछाई गई हैं, जिससे प्रदेश के 30,282 हैक्टेयर क्षेत्र को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत किसान समूहों के लिए 90 प्रतिशत सब्सिडी और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी की सुविधा प्रदान की जा रही है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कृषि के लिए कुशल जल सिंचाई प्रणालियों के तहत लगभग 6,000 हैक्टेयर क्षेत्र को तुपका और फव्वारा सिंचाई प्रणालियों के अधीन लाया गया है, जिसके लिए 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि मान सरकार द्वारा टेलों तक पानी पहुंचाने के लिए 15,914 खालों की बहाली की गई है, जो सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि चार दशकों में पहली बार 20 नहरों में पानी बहने लगा है, जिससे 916 माइनरों और खालों में पानी आया है। उन्होंने बताया कि कुछ क्षेत्रों को 35-40 सालों के बाद सिंचाई के लिए पानी मिला है, जो लंबे समय से सूखी पड़ी ज़मीनों के लिए एक बड़ी राहत है।

डार्क ज़ोन के तहत प्रदेश के 150 में से 114 ब्लॉक्स होने के मद्देनज़र पंजाब में भूजल की कमी के गंभीर मुद्दे पर चर्चा करते हुए स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने कहा कि राज्य सरकार ने इस दिशा में बहु-पक्षीय दृष्टिकोण अपनाते हुए भूजल के कुशल उपयोग के लिए कई पहलें की हैं, जिनमें नहरों और उप-सतही जल संसाधनों का उचित उपयोग, नई योजनाएं, बजट में वृद्धि और समय पर फंड जारी करना शामिल है।

 जौड़ामाजरा ने बताया कि नहरी पानी के वैकल्पिक उपयोग को उत्साहित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों से 300 एम.एल.डी. (मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी के सिंचाई हेतु उपयोग के लिए 28 भूमिगत पाइपलाइन आधारित सिंचाई परियोजनाओं की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि यह कदम सतही पानी के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित कर रहा है। इसके अलावा 125 गांवों में सोलर-लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं ताकि सिंचाई के लिए छप्पड़ों के पानी का उपयोग किया जा सके जिससे भूजल पर निर्भरता कम होगी।

उन्होंने बताया कि नीम पहाड़ी क्षेत्र में बारिश के पानी की संभाल, मिट्टी के कटाव को रोकने और बाढ़ से सुरक्षा के लिए 160 वाटर हार्वेस्टिंग-कम-रीचार्जिंग ढांचे और चैक डैम बनाये गए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने भूमिगत पाइपलाइन आधारित सिंचाई नेटवर्क के विस्तार के लिए नाबार्ड के 277.57 करोड़ रुपये की फंडिंग वाले दो प्रोजैक्ट भी शुरू किए है जिससे 40,000 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र को लाभ मिलेगा।

जौड़ामाजरा ने कहा कि किसान भाईचारे को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश में पहली बार नहरों और गांवों के छप्पड़ों से सतही पानी के अधिकतम उपयोग, चेक डैमों के निर्माण, मिट्टी/भू सुरक्षा और बाढ़ से सुरक्षा, बारिश के पानी के लिए रूफ-टॉप रीचार्जिंग ढांचे की स्थापना के लिए कई प्रोग्राम शुरू किए गए हैं।

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