Edited By Pardeep,Updated: 19 Jul, 2019 05:05 AM
देश के कई शहरों में बने मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा के लिए पानी और शौचालय मुफ्त दिया जा रहा है, जबकि दिल्ली मेट्रो में इस प्रकार की बुनियादी जरूरतों से अब तक लोगों को महरूम रखा गया है। आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई की दिल्ली...
नई दिल्ली: देश के कई शहरों में बने मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा के लिए पानी और शौचालय मुफ्त दिया जा रहा है, जबकि दिल्ली मेट्रो में इस प्रकार की बुनियादी जरूरतों से अब तक लोगों को महरूम रखा गया है। आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई की दिल्ली मेट्रो में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को डीएमआरसी उपभोक्ता नहीं मानता।
डीएमआरसी का तर्क है कि दिल्ली उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की श्रेणी में नहीं आते हैं। दिल्ली मेट्रो पिछले 17 वर्ष से चल रहा है जबकि मुंबई, लखनऊ और जयपुर में मेट्रो बाद में चली है। आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा कहना है कि दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन सफर करने वाले करीब 27 लाख यात्रियों को उपभोक्ता नहीं मानता।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार भारत के अन्य राज्यों में चल रही मेट्रो सेवा क्रमश: जयपुर, मुंबई, लखनऊ आदि मेट्रो सेवा उपभोक्ता की श्रेणी के तहत पानी, शौचालय आदि कई सुविधाएं नि:शुल्क दी जाती हैं। राणा ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा की जानकारी के लिए आरटीआई से 2015 में भी इस बारे में जानकारी मांगी गई थी। 24 अप्रैल 2018 को डीएमआरसी ने लिखित में कहा कि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता श्रेणी रखना विधायिका के क्षेत्र में निहित है इसलिए स्वयं डीएमआरसी कुछ नहीं कर सकती।
3 जून 2019 को आरटीआई के जवाब में डीएमआरसी ने जवाब दिया कि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (डी) के तहत साफ बताया गया है कि उक्त अधिनियम के तहत विशेष श्रेणी सेवा को उपभोक्ता घोषित करने का प्रावधान नहीं करता है। इस डीएमआरसी ने 16 जुलाई को भी जवाब में कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (डी) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे मेट्रो को उपभोक्ता की श्रेणी से बाहर रखा जा सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली में मेट्रो आरंभ हुए 17 वर्ष होने के बाद भी उपभोक्ता श्रेणी में नहीं रखना कानून का उल्लंघन तो है, ही यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ अन्याय है।