चुनावी बॉन्ड स्कीम क्या है, कौन खरीद सकता है?

Edited By Parveen Kumar,Updated: 11 Mar, 2024 09:06 PM

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चुनावी बॉन्ड एक माध्यम है जिसके तहत भारत का कोई भी नागरिक या कंम्पनि अपने पसंद की राजनीतिक संगठन को एक बॉन्ड के माध्यम से असीमित धन राशि दान के रुप में दे सकती थी और राजनीतिक पार्टिया इस बॉण्ड को बैंक में भेजकर रकम हासिल कर लेते थे।

नेशनल डेस्क : चुनावी बॉन्ड एक माध्यम है जिसके तहत भारत का कोई भी नागरिक या कंम्पनि अपने पसंद की राजनीतिक संगठन को एक बॉन्ड के माध्यम से असीमित धन राशि दान के रुप में दे सकती थी और राजनीतिक पार्टिया इस बॉण्ड को बैंक में भेजकर रकम हासिल कर लेते थे। ये बॉण्ड एक रसीद के समान था । आप जिस पार्टी को चंदा देना चाहते हैं उसी के नाम से इस रशिद को खरीदा जाता था और इसका पैसा संबंधित राजनीतिक दल को मुहैया करा दिया जाता था।

आप को बता दें कि यह बॉन्ड केवल भारतीय स्टेट बैंक के कुछ विशिष्ट शाखाओं से एक हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ जैसे विभिन्न मूल्यवर्ग में चेक या डिजिटल भुगतान के माध्यम से खरीदा जा सकता था। बैंक चुनावी बॉँण्ड उसी ग्राहक को बेचते थे, जिनका केवाईसी वेरिफाइड होता था। इसके साथ ही बॉण्ड पर चंदा देने वाले के नाम का जिक्र नहीं होता था।

चुनावी बॉन्ड दाता और प्राप्तकर्ता दोनो को एक गुमनामी कि सुविधा मुहैया कराता था। इसे 2017 में मोदी सरकार के द्वारा लागू किया गया था। चुनावी बॉन्ड हर तिमाही की शुरुआत में सरकार की ओर से दस दिनों की अवधी के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध कराए जाते थे। इसी बीच उनकी खरीदारी की जाती थी । सरकार की ओर से चुनावी बॉण्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिन तय किए गए थे।

राजनीतिक फंडिग मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी

चुनावी बॉन्ड की शुरुआत करते हु्ए सरकार ने दावा किया था कि इससे राजनीतिक फंडिग के मामले में पारदर्शिता बढ़ेगी । इस बॉण्ड के जरिए अपनी पसंद की पार्टी को चंदा दिया जा सकता था। चुनावी बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई को राहत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई कल तक ही जानकारी दे और 15 मार्च तक चुनाव आयोग उस जानकारी को सार्वजनिक करे।

एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। एसबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। साल्वे ने कोर्ट को बताया कि सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद एसबीआई ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी करने पर रोक लगा दी है, लेकिन समस्या ये है कि जो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए हैं उस पूरी प्रक्रिया को पलटना होगा और इसमें समय लगेगा।

SC ने  नहीं मान एसबीआई की नहीं दलील

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की दलील मानने से इनकार कर दिया और कल तक ही जानकारी देने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'आप (एसबीआई) कह रहे हैं कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कवर के साथ एसबीआई की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में है।

मैचिंग प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन हमने आपको मैचिंग करने के लिए कहा ही नहीं था और हमने सिर्फ स्पष्ट डिस्कलोजर मांगा था। मामले पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा कि 'आपने बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी एक सील कवर लिफाफे में रखी गई है तो ऐसे में आपको सिर्फ सील कवर खोलकर जानकारी देनी है।'

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