बेटियों की आंखों में डर क्यों...

Edited By vasudha,Updated: 05 Dec, 2019 09:47 AM

why fear in the eyes of daughters

क्यों हो झिझक, क्यों डर बेटियों की आंखों में, जरूरत अब खुद अपने हाथ हथियार करने को। बच्चों के बलात्कारी को 6 माह में फांसी हो। बचा लो मुझे कल मुझे भी जला दिया जाएगा...। यह दर्द और खौफ देश की उन लड़कियों में दिखा,जो देशभर से राजघाट पर हैदराबाद की...

नई दिल्ली (मनीष राणा)  क्यों हो झिझक, क्यों डर बेटियों की आंखों में, जरूरत अब खुद अपने हाथ हथियार करने को। बच्चों के बलात्कारी को 6 माह में फांसी हो। बचा लो मुझे कल मुझे भी जला दिया जाएगा...। यह दर्द और खौफ देश की उन लड़कियों में दिखा,जो देशभर से राजघाट पर हैदराबाद की घटना के विरोध में आईथी। सभी  रेप के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग पर अड़ी थीं। साथ ही अनशन पर बैठी दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के अनशन को समर्थन दिया। राजघाट पर बुधवार को महिलाओं, लड़कियों के हुजूम में गुस्सा साफ दे रहा था। मगर उनके हाथों की तख्तियों पर लिखे शब्द उनके खौफ और डर को भी बयां कर रहे थे, कि किस तरह हैदराबाद की घटना के बाद महिलाओं व लड़कियों में डर बस गया है।

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तख्तियों पर लिखा एक एक शब्द पढऩे पर सीधा मन मस्तिष्क पर अपना प्रभाव छोड़ रहा था और वर्तमान  स्थिति पर सोचने को मजबूर कर रहा था। अनशन स्थल पर मौजूद महिलाओं व युवतियों ने हाथों में हिन्दी एवं अंग्रेजी में लिखे स्लोगन लेकर अपनी भावनाओं और गुस्से को स्लोगनों के माध्यम से बयां किया। हर गली हर चौराहे पर बेटियां लाचार हैं, कहां गए वह लोग जो कहते थे हम भी चौकीदार है। नहीं थमती दासतां जिस्म और रूह जार करने को, और बाकी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को, तैयार रह उन नामुरादों के टुकड़े हजार करने को। फांसी और सिर्फ फांसी। जैसे स्लोगनों में दर्द और खौफ के साथ ही, सरकार के प्रति नाराजगी व गुस्सा साफ दिखाई दिया। 

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ये स्लोगन रहे हाथों में 

  • बच्चो के बलात्कारी को 6 माह में फांसी दो 
  • छेड़छाड़ से आजादी 
  • रेप से आजादी 
  • बेटी बचेगी तभी तो बेटी बढ़ेगी 
  • महिला तो है शक्ति का रूप, अगर होगी यह जागरूक 
  • भ्रूण हत्या से आजादी 
  • बेटी हूं अभिमान है, मुझसे देश का मान है 
  • नोट लैस देन पब्लिक एक्सिक्यूशन 
  • बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओं क्या इसी दिन के लिए
  • बेटी को बचाएं और बेटी को पढ़ाएं और बेटी को इंसाफ ना मिले। 
  • कम उम्र की शादी रोको, बचपन की बर्बादी रोको 
  • भू्रण हत्या से आजादी 

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नहीं थमे आंसू कहा, घर से निकलने में डर लगता है 
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से अनशन को समर्थन देने पहुंची अंजलि हैदराबाद व राजस्थान की घटना से इतनी आहत थी कि वह अपने आंसू नहीं रोक पा रही थी। उनका था कि दिन पर दिन जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही है, इससे अपनी सुरक्षा को लेकर डर लगता है, अब तो घर से निकलने में भी डर लगता है। 

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