मौसम विभाग की नई तकनीक, पहले ही पता चल सकेगा कहां आएगी कितनी बाढ़

Edited By Isha,Updated: 10 Jun, 2018 02:31 PM

will be able to know exactly how much flood will come

बाढ़ के पूर्वानुमान की जानकारी अभी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा दी जाती है लेकिन अब मौसम विभाग नयी तकनीक के जरिये न सिर्फ यह बतायेगा कि कहां कितनी बाढ़ आने का खतरा है बल्कि आपदा प्रबंधन एजेंसियों

नई दिल्ली (भाषा) : बाढ़ के पूर्वानुमान की जानकारी अभी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा दी जाती है लेकिन अब मौसम विभाग नयी तकनीक के जरिये न सिर्फ यह बतायेगा कि कहां कितनी बाढ़ आने का खतरा है बल्कि आपदा प्रबंधन एजेंसियों को इससे बचने के बारे में दिशानिर्देश भी देगा।
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देश में पहली बार शुरू हो रही है ये सुविधा
विभाग बारिश के पूर्वानुमान से इतर पहली बार बाढ़ से उत्पन्न संभावित हालात से निपटने के आवश्यक उपायों से आयोग और अन्य संबद्ध एजेंसियों को अवगत कराएगा। मौसम विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने बताया कि देश में पहली बार ‘फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम’ की मदद से यह सुविधा अगले महीने शुरू करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा ‘‘पहली बार इस तकनीक की मदद से इस सेवा को शुरू किया जायेगा। फिलहाल यह प्रायोगिक दौर में है। उम्मीद है अगले महीने इसे शुरू कर दिया जायेगा।
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उन्होंने बताया कि इसके लिए देश के विभिन्न इलाकों में पायी जाने वाली विभिन्न किस्मों की मिट्टी के अध्ययन के आधार पर यह तय किया गया है कि संबद्ध क्षेत्र की मिट्टी कितना पानी सोखेगी। इससे उस क्षेत्र में बारिश के पूर्वानुमान के आधार पर पहले ही यह तय किया जा सकेगा कि कितना पानी जमीन में समाहित होगा और कितना पानी नदी, नालों सहित अन्य जलाशयों में जाने के बाद शेष बचेगा जो कि बाढ़ का रूप लेगा।
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मिलेगी सटीक जानकारी 
फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम से क्षेत्र विशेष की भौगोलिक परिस्थितियों के आंकलन और वर्षा जल की अतिरेक मात्रा के आधार पर बाढ़ की सटीक जानकारी दी जा सकेगी। सुरेश ने बताया कि इसके साथ राज्य एवं जिला स्तर पर कृषि एवं आपदा प्रबंधन एजेंसियों को समुचित परामर्श भी दिया जायेगा।  उन्होंने बताया कि विभाग अब तक सिर्फ भारी बारिश के पूर्वानुमान की चेतावनी मात्र जारी करता है। अब मृदा परीक्षण कर बाढ़ का सटीक आंकलन भी किया जायेगा। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि अधिक पानी सोखने वाली मिट्टी से संबद्ध राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे मैदानी इलाकों में 10 से 20 सेमी बारिश बाढ़ का कारण नहीं बन सकती, लेकिन कम पानी सोखने वाली मिट्टी से जुड़े उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में बारिश की इतनी ही मात्रा बाढ़ की वजह बन सकती है।  
 

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