राज्यों के चुनाव जीतेंगे, फिर केंद्र में बनाएंगे सरकार : कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ

Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Jun, 2023 03:56 PM

will win state elections then form government at center gaurav vallabh

बहुत कम समय में गौरव वल्लभ कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं। वित्त, प्रबंधन, कानून जैसे क्षेत्रों में नाम कमाने के बाद वह राजनीति में आ गए। कुछ ही महीनों में विधायक का चुनाव भी लड़ लिया।

नेशनल डेस्क : बहुत कम समय में गौरव वल्लभ कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं। वित्त, प्रबंधन, कानून जैसे क्षेत्रों में नाम कमाने के बाद वह राजनीति में आ गए। कुछ ही महीनों में विधायक का चुनाव भी लड़ लिया। पार्टी का पक्ष मजबूती से रखने के साथ गौरव आंकड़ों को भी बेहद सटीक अंदाज में रखते हैं और अपनी जानकारी का बखूबी इस्तेमाल भी करते हैं। पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, हिंद समाचार से उन्होंने खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

राजनीति में किस तरह से आ गए?
एक्सएलआरआई के पुराने विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने के दौरान एक युवक ने मुझसे सवाल कर लिया कि क्या पढ़ाना आपका जुनून था। इस सवाल को मैं उस समय टाल गया, लेकिन परेशान रहने लगा। मेरे पापा ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि मैं तो जनसेवा के लिए पॉलिसी मेकिंग का काम करना चाहता था, लैजिसलेचर में जाना चाहता था। उन्होंने मुझे मना कर दिया। फिर मैंने पापा और पत्नी से बात करके राजनीति में जाने के  लिए मन बना लिया। विचाराधारा के मिलने के कारण मैंने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला किया। मैं कांग्रेस अध्यक्ष से मिला और अपने बारे में बताया। इसके बाद मुझे जनवरी, 2018 में राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया।

काफी कम समय में ही आपको चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिल गया?
झारखंड में सिटिंग सी. एम. के खिलाफ किसी अच्छे और मजबूत व्यक्ति को चुनाव लड़ाना था। पार्टी की नजर में मैं था, इसलिए पार्टी ने खतरा मोल लेकर मुझे मैदान में उतारा। जहां तक रही बात राजस्थान से होने की, तो मैं जमशेदपुर में सामाजिक कामों में काफी सक्रिय रहा हूं। एक्सएलआरआई में रहने के दौरान वहां पर किसी भी संकट के समय आवश्यकता पड़ने पर लोगों की सेवा करने के लिए सबसे आगे खड़ा रहता था।

मोदी सरकार के 9 साल हो गए। इसपर आप क्या कहना चाहेंगे?
मोदी सरकार में संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन हुआ है। कहा. गया था कि किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, जीत रही है। 2022 तक सबको मकान मिल जाएंगे, बुलेट अशोक गहलोत ट्रेन चल जाएगी, 100 स्मार्ट सिटी बन जाएंगे, मुख्यमंत्री घोषित कर गंगा मइया साफ हो जाएंगी, स्टार्टअप में बहार यह नहीं कह रहा, आ जाएगी, मेक इन इंडिया में देश चीन को और सचिन पायलट के पीछे छोड़ देगा। खराबी यह है कि देश में नेता लड़ेंगे और पहले से ज्य और जनता के बीच तनाव बढ़ा। ट्रस्ट डिफिसिट मतलब भरोसे में कमी आई। 

क्या आपको नहीं लगता कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया गया है?
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम हुआ है, इस बात को कार्यकर्त्ताओं खारिज नहीं किया जा सकता। क्या काम पहले अभी तक नहीं हो रहे थे। केवल कांग्रेस नहीं, जो भी सरकार रही, उसने काम किया लेकिन ये तो कहते हैं कि किसी ने काम नहीं किया।

शीला दीक्षित को विकास के नाम पर वोट मिले थे, लेकिन कांग्रेस हार जाती है और आम आदमी पार्टी जीत जाती है ?
अगर वोट नहीं मिले तो कमी जरूर होगी। जिसको वोट मिले, उसमें कुछ न कुछ प्लस, तो रहा होगा। हालांकि उस दौरान मैं पार्टी से जुड़ा नहीं था लेकिन कमी तो रही होगी। कांग्रेस ने जनता को बहुत सारे अधिकार दिए राइट टू एम्प्लायमेंट,. राइट टू फूड, राइट टू इन्फार्मेशन, राइट टू एजुकेशन आदि लेकिन उनका प्रचार- प्रसार नहीं किया जा सका।

विपक्षी एकता को लेकर जो क्रम चल रहे हैं, उसमें सफलता दिख रही है क्या ?
कांग्रेस को कमतर न आंकें, समान विचारधारा वाले 20- 25 राजनीतिक दलों के साथ आगे बढ़ सकते हैं। सीटों पर बाद में बात होगी, पहले मुद्दों पर एकराय जरूरी है।

राजस्थान में वसुंधरा राजे आगे दिखने लगी हैं, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे झगड़े के चलते ?
पुरानी पेंशन का जनक, शहरी नरेगा लागू करने वाला राज्य, 25 लाख का बीमा सभी राजस्थानवासियों को देने वाला राज्य, 500 का सिलेंडर, महंगाई राहत केंद्र हर ब्लॉक स्तर पर राजस्थान सरकार चला रही है। यह पॉलिसी स्तर पर सरकार काम कर रही है। मैं बता दूं कि राजस्थान में हमने आंकड़े जुटाए हैं और कांग्रेस पहले से ज्यादा ताकतवर होकर जीत रही है।

अशोक गहलोत के नेतृत्व में, उन्हें मुख्यमंत्री घोषित करके ?
मैं यह नहीं कह रहा, हम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और पहले से ज्यादा सीटों पर जीतेंगे। 

मल्लिकार्जुन खरगे प्रभावी रहेंगे या फिर गांधी परिवार के साथ ही चलेंगे ?
मैंने उनके मुंह से सदैव हम शब्द चुना है। हर फैसले को संबंधित नेताओं, संगठन के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के बाद करते हैं। 

अभी तक कांग्रेस की वर्किंग कमेटी व दूसरे संगठनों के चुनाव नहीं हुए?
उदयपुर घोषणा के अनुसार सभी पदों को लेकर जल्द चुनाव ऐलान किया जाएगा। 

पुरानी पैंशन व अन्य मुफ्त योजनाओं का आर्थिक भार देश सह सकता है ?
सरकार की प्राथमिकता होती हैं। मौजूदा केंद्र सरकार ने 9 साल में 12.5 लाख बागडोर स करोड़ के लोन बट्टे खाते में डाले और रिकवरी 1.20 लाख करोड़ हुई बाकी तो डूब गए। सार्वजनिक बैंक का पैसा डूब रहा हैं और यह 11.5 लाख करोड़ रोक दें तो ओपीएस का पैसा निकल आएगा।

क्या ऐसा पहले नहीं हुआ, सिर्फ भाजपा के कार्यकाल में ही हुआ है ?
नहीं पहले भी हुआ है, कांग्रेस कार्यकाल में डेढ़ लाख करोड़ रुपए हुआ था।

सांसद, विधायक की पैंशन क्या जारी रहनी चाहिए, आप क्या कहेंगे?
जनप्रतिनिधियों का भी परिवार, सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं, ऐसे में उनको सम्मानजनक भत्ते मिलने चाहिएं।

कर्नाटक में विवादास्पद फैसले हुए, सावरकर, हेडगेवार, धर्मांतरण को लेकर विवाद सोची-समझी रणनीति है?
मैं हर देशवासी से पूछना चाहता हूं कि देश के बच्चों को अंबेडकर और गांधी पढ़ाया जाए या फिर सावरकर, हेडगेवार पढ़ाया जाए। क्या किसी मंत्री को ये अधिकार है कि गोडसे को भारत का सपूत बताए और ऐसा करने पर भी प्रधानमंत्री ने उसे कैबिनेट से नहीं हटाया। हम उस सोच के खिलाफ हैं, जिसने महात्मा गांधी के सीने में गोली मारी।

राहुल गांधी अगर प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे तो विपक्ष में ही दूसरे दावेदार सवाल खड़ा कर देंगे, जबकि भाजपा में इसको लेकर स्थिति स्पष्ट है ?
हर कांग्रेसी चाहता है कि राहुल गांधी देश की बागडोर संभालें, लेकिन कांग्रेस हाईकमान क्या फैसला करेगी। नवम्बर, दिसम्बर तक सभी पहलुओं के जवाब देंगे।

मणिपुर संकट पर क्या कहेंगे?
हम अकेल बोल रहे हमारा दल गया, पीएम मणिपुर को नजरअंदाज न करें। राजनीतिक तौर पर नजरअंदाज करना सही नहीं है, 40 दिन से मणिपुर जल रहा है। एक भी बयान दिया पीएम ने, एक भी प्रतिनिधिमंडल से मिले ? मंत्री के घर को जला दिया गया। प्रधानमंत्री मन की बात कांग्रेस का रिहर्सल कर रहे होंगे। ऐसा लगता है कि यह उनके गवर्नेस का एजेंडा ही नहीं है। पीएम चुप हैं, जबकि एमेजॉन के जंगल की पर बोलते हैं।

अगर कांग्रेस के अध्यक्ष गौरव वल्लभ बनें तो क्या प्राथमिकताएं होंगी ?
मैं कहूंगा कि देश की प्राथमिक समस्याओं को दूर करूंगा। मसलन उत्पादन से रोजगार म्मानजनक सृजन, (मौजूदा सरकार मेक इन इंडिया के स्लोगन में ही मगन है), महंगाई पर काबू करेंगे, आजादी के लिए, संविधान के लिए, हमारे बुजुर्गों ने जीवन खपा दिया। हम ऐसा राज नहीं चाहते जहां बुलडोजर की बात हो। बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में बुलडोजर का पाठ नहीं था। इनकी रक्षा करना मेरी प्राथमिकता है।

जब कांग्रेस इतना मेहनत कर रही है तो फिर हार क्यों रहे हैं?
पहले कोई कमियां रहेंगी लेकिन अभी हम हिमाचल, कर्नाटक जीते हैं और तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में हम बड़ी ताकत हैं और सरकार बनाएंगे। लोकसभा चुनाव से पहले जब हम जीतेंगे तो हम फिर देश में अधिकार देने वाली, विकास करने, वैज्ञानिक आधार पर चलने वाली सरकार का गठन करेंगे।

आबादी का दबाव है भारत में?
कर्नाटक, तमिलनाडु, में नकारात्मक विस्तार औऱ आबादी रोकने का एक ही तरीका है शिक्षा का प्रसार। जहां शिक्षा बढ़ी है, वहां आबादी स्थिर हुई है।

अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी को समर्थन को लेकर क्या कह रहे हैं?
विशेषज्ञों से बातचीत करके हम जवाब देंगे। इस पर मैं संगठन महासचिव के बयान के बाद कुछ नहीं बोलूंगा। 

समान नागरिक संहिता (यूसीसी)पर आपका क्या नजरिया है ?
21वें विधि आयोग ने 2018 में लिखा यूसीसी न तो चाहिए, न जरूरत है। भाजपा के सभी तरीके फेल हो गए हैं, इसलिए इसे लेकर आए। लेकिन, अब पोलराइजेशन नहीं चलेगा। चुनाव से पहले यह सब किया जाता है, चुनाव ही में कहा खत्म होते ही सब खत्म हो जाता है। यह मतदाताओं के ध्रुवीकरण का तरीका है। विधि आयोग को इस पर समझदारी से कदम उठाना चाहिए, क्योंकि अगर आर्थिक विषमताएं बढ़ी हैं तो मोदी की नीतियों के फेल होने का संकेत है। वह मानें कि उनकी नीतियों के चलते आर्थिक विषमताएं बढ़ी हैं।

नीति के खिलाफ बोलना, राष्ट्र के खिलाफ बोलना नहीं
राहुल गांधी का विदेश में जाकर नरेंद्र मोदी सरकार की नीति पर बोलना, आखिर क्या रणनीति है? किसी दूसरे देश के नेता कहीं और जाकर अपने देश के नेता की 'आलोचना नहीं करते
नीति के खिलाफ बोलना राष्ट्र के खिलाफ बोलना नहीं है। मैंने कई विदेशी दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी को बोलते हुए सुना है। सियोल में उन्होंने कहा कि कहां जन्म ले लिया भारत में, टोकियो में अधिकार नोटबंदी को लेकर उपहास किया, अमरीका में कहा कि भारत सांप-सपेरों का देश था। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि राहुल गांधी ने कभी भारत का उपहास नहीं उड़ाया, साथ ही हाल ही में कहा क्या अमरीका दखल दे तो राहुल गांधी ने तुरंत कहा, नहीं ये हमारा मुद्दा है हम सुलझा लेंगे। आस्ट्रेलिया के पीएम ने बॉस कहा और अगले दिन यूनिवर्सिटी के बच्चों को प्रतिबंधित कर दिया। ऐसे में पीएम को दखल देना चाहिए था। एक और उदाहरण, बाइडेन कहते हैं कि मोदी उनसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और बच्चों को वीजा नहीं देते।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

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