नोएडा के बिल्डर्स को देना होगा हर टावर का पजेशन प्लान

Edited By ,Updated: 12 May, 2017 11:41 AM

builders of noida should give every tower  s pension plan

बिल्डर्स की मनमानी और पजेशन में देरी के शिकार नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों फ्लैट बायर्स को यूपी सरकार ने एक बार फिर जल्द राहत का भरोसा दिलाया है।

नई दिल्लीः बिल्डर्स की मनमानी और पजेशन में देरी के शिकार नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों फ्लैट बायर्स को यूपी सरकार ने एक बार फिर जल्द राहत का भरोसा दिलाया है। साथ ही बिल्डर्स से हर टावर का फाइनल पजेशन प्लान सौंपने को कहा है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उस समयसीमा में खरीदार को उसका घर मिल जाए। हालांकि दूसरी ओर बिल्डर्स ने भी अपनी कई मजबूरियां गिनाकर नोएडा अथॉरिटी और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है और मांग की है कि उनसे देरी के लिए ब्याज में विवादित अवधि को शामिल नहीं किया जाए।

यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने गुरुवार को नोएडा अथॉरिटी, स्थानीय खरीदार संगठनों और डिवेलपर्स के साथ एक बैठक की। सभी पक्षों को सुनने के बाद मंत्री ने डिवेलपर्स से कहा कि एक-एक निर्माणाधीन टावर की स्थिति, कंप्लीशन डिटेल्स और पजेशन देने की तारीख अथॉरिटी को सौंपे और इसका ध्यान रखें कि उस डेडलाइन का उल्लंघन न हो। बायर्स समूहों की ओर से आरोप लगाया गया पिछले दिनों सीएम की ओर से डिवेलपर्स और अथॉरिटी को सख्त निर्देशों के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

फ्लैट बायर्स के संगठन नेफोवा के प्रेसिडेंट अभिषेक कुमार ने आरोप लगाया कि बिल्डर जानबूझकर कई प्रोजेक्ट्स में देरी कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अभी तक 20 पर्सेंट से भी कम बायर्स को पजेशन मिला है और उनमें बहुत से फ्लैट आधी-अधूरी सुविधाओं के साथ ग्राहकों को सौंप दिए गए हैं। रियल्टर्स के संगठन क्रेडाई (वेस्टर्न यूपी) के सचिव सुरेश गर्ग ने कहा कि बहुत से प्रोजेक्ट्स में किसानों ने अब तक जमीनों पर कब्जा जमाए रखा है और अथॉरिटी भी उन्हें दूसरी जगह जमीन नहीं दे पाई है। पहले सरकार को अतिक्रमण खत्म कर जमीन खाली करानी होगी।

किसानों को अतिरिक्त मुआवजे के लिए भी अथॉरिटी बिल्डर्स से डिमांड बढ़ाती रही है, जिससे प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ा है। सुपरटेक के चेयरमैन आर के आरोड़ ने बताया कि अथॉरिटी लेवल पर बिल्डिंग प्लान की मंजूरी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेने में देरी होती रही है। उन्होंने बताया कि रियल्टर्स ने मंत्री से मांग की है कि जिस अवधि तक किसानों से विवाद के चलते हाई कोर्ट की ओर से निर्माण पर रोक लगाई गई थी और एनजीटी की ओर से इको सेंसिटिव जोन के 10 किलोमीटर के दायरे में निर्माण नहीं होने दिया गया, उस अवधि का ब्याज बिल्डर्स से नहीं लिया जाना चाहिए। अरोड़ा ने दावा किया कि उनकी कंपनी ने पिछले तीन साल में 22,000 पजेशन दिए हैं और मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 और पजेशन देने जा रहे हैं।

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