प्रॉपर्टी सस्ती, रजिस्ट्री महंगी आखिर कब तक?

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2017 01:46 PM

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सरकारी रेट कम और मार्कीट रेट ज्यादा। प्रॉपर्टी को लेकर यही सच रहा है लेकिन नोटबंदी के बाद हकीकत बदल गई है। मार्कीट रेट कम और सरकारी रेट ज्यादा। अंतर इतना बढ़ गया है

नई दिल्लीः सरकारी रेट कम और मार्कीट रेट ज्यादा। प्रॉपर्टी को लेकर यही सच रहा है लेकिन नोटबंदी के बाद हकीकत बदल गई है। मार्कीट रेट कम और सरकारी रेट ज्यादा। अंतर इतना बढ़ गया है कि अब बड़े बाजारों में सरकारी यानी सर्किल घटाने की मांग उठने लगी हैं। प्रॉपर्टी सस्ती लेकिन रजिस्ट्री महंगी। हरियाणा के गुरुग्राम में सर्किल रेट बाजार भाव से करीब 4 गुना ज्यादा हैं। पिछले साल यहां सरकार ने सर्किल रेट में 15 फीसदी की कटौती की थी। अब फिर से 5 फीसदी कटौती की बात शुरू हो गई है लेकिन देश के बाकी बड़े प्रॉपर्टी बाजारों का क्या?

दिल्ली, पुणे, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई इलाके ऐसे है जहां सर्किल रेट मार्कीट रेट से ज्यादा हो गए हैं। मिसाल के तौर पर दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंडस कॉलोनी, ग्रेटर कैलाश समेत दूसरे पॉश इलाकों में सर्किल रेट करीब 7.75 लाख रुपए प्रति स्कावयर मीटर हैं जबकि यहां मार्कीट रेट ज्यादा से ज्यादा 5 लाख रुपए प्रति स्कावयर मीटर हैं। पुणे के कटराज इलाके में सरकारी कीमत 22 हजार रुपए प्रति स्कावयर मीटर है जबकि मार्कीट रेट 14,000 रुपए से ज्यादा नहीं है। नोएडा के सेक्टर 131, 134,135 और 137 में सर्किल रेट तेईस हजार रुपए से ज्यादा है जबकि मार्कीट रेट अधिकतम 20 हजार रु प्रति स्कावयर मीटर हैं।

रियल एस्टेट के जानकार मानते हैं कि सर्किल घटाने से न सिर्फ घर खरीदारों को फायदा होगा बल्कि सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी। नोटबंदी से प्रॉपर्टी की कीमतें गिरीं, लगा अब आम आदमी को सस्ता घर मिलेगा। जाहिर है बिना सर्किल रेट में कटौती का ये सपना सच होता नहीं दिख रहा।

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