मुख्यमंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को लिखा पत्र

Edited By Ajesh K Dharwal,Updated: 01 Nov, 2020 09:41 PM

tricky issues

मालगाडिय़ों की यातायात के पेचीदा मसले को सामूहिक इच्छा और सूझ-बूझ के साथ सुलझाएं

चंडीगढ़, (अश्वनी): किसानों द्वारा रेल रोको आंदोलन में ढील के बावजूद रेलवे द्वारा माल गाडिय़ां निलंबित रखने पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह  ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को खुला पत्र लिखा। उन्होंने पेचीदा मसले को सामूहिक इच्छा और सूझ-बूझ के साथ सुलझाने का न्यौता दिया है। इस मसले को न सुलझाया तो न सिर्फ पंजाब, बल्कि लद्दाख और कश्मीर में तैनात सशस्त्र बलों सहित समूचे मुल्क के लिए खतरनाक निष्कर्ष निकल सकते हैं। किसानों के प्रदर्शनों खासतौर पर रेलवे की तरफ से माल गाडिय़ां निलंबित करने पर भाजपा के राष्ट्रीय और पंजाब के नेताओं द्वारा हाल ही में दिए बयान और टिप्पणियों पर दुख जाहिर किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय न राजनैतिक टकराव में पडऩे का है और न ही आरोप-प्रत्यारोप। इस नाजुक समय में सभी को राजनैतिक हितों को आगे बढ़ाने की बजाय किसी भी लालसा को एक तरफ कर देना चाहिए। यह समय राजनैतिक भिन्नताओं से ऊपर उठने का है और मौजूदा स्थिति के प्रति सूझ और बुद्धिमत्ता से निपटने का है, क्योंकि तुरंत कदम न उठाए तो निश्चित तौर पर हालात काबू से बाहर होने का खतरा बना हुआ है।

 


राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव का जिक्र किया
मुख्यमंत्री ने माल गाडिय़ां लगातार निलंबित रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर पडऩे वाले प्रभाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि न सिर्फ पंजाब, बल्कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और लद्दाख को बड़ी कमी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि ठंड शुरू होने से सशस्त्र सेनाओं पर बहुत बुरा प्रभाव पडऩे की संभावना है, क्योंकि लद्दाख और वादी की ओर जाते मार्गों पर बर्फबारी होने से सप्लाई और अन्य वस्तुओं की कमी पैदा हो सकती है। इन खतरों को न केंद्र और न ही भाजपा समेत कोई राजनैतिक पार्टी अनदेखा कर सकती है। देश हित में पेचीदा मसले को सुलझाने के लिए साझे लक्ष्य के साथ आपसी तालमेल करना चाहिए।


संकट का जल्द हल न किया तो पाकिस्तान से काफी खतरा!
रेल यातायात के लंबे समय तक बंद रहने से पंजाब को घाटे का हवाला देते हुए कै. अमरेंद्र ने कहा कि राज्य में बिजली (कोयला), यूरिया और डी.ए.पी. के स्टॉक की कमी के मद्देनजर उद्योग, कृषि और समूची अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बात करते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के आक्रामक रुख के बीच सशस्त्र बलों का जरूरी वस्तुओं की सप्लाई से वंचित रहना देश के लिए और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यहां तक कि किसानों पर मौजूदा संकट का जल्द हल न किया तो सुरक्षा के लिहाज से पंजाब को पाकिस्तान से काफी खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आई.एस.आई. समॢथत आतंकवादी समूह हमेशा ही पंजाब में गड़बड़ी पैदा करने की ताक में रहते हैं।


‘नक्सलियों’ के साथ तुलना करना बेहद निन्दनीये 
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और पंजाब प्रधान अश्वनी शर्मा के बयानों का सख्त नोटिस लेते हुए मौजूदा संकट की स्थिति में भाजपा नेताओं/सदस्यों की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इन नेताओं द्वारा मेरी सरकार के ‘नक्सलवादी ताकतों’ के साथ मिलीभगत होने के झूठे और बेबुनियाद दोष लगाना परिपक्वता की और मौजूदा स्थिति को समझने की कमी को दर्शाता है। किसानों के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में योगदान को देखते हुए ‘नक्सलियों’ के साथ तुलना करना बेहद ङ्क्षनदनीय है। पूरा देश किसानों को अन्नदाता के तौर पर जानता है और उनके आंदोलन की नक्सलवाद के साथ तुलना कर भाजपा नेताओं ने अन्नदाता का अपमान किया है और हर उस भारतीय का अपमान किया है जिसका किसान पेट पालते हैं। कै. अमरेंद्र ने राज्य को चलाने के उनकी सरकार के नैतिक अधिकार पर सवाल उठाने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा पंजाब हाईकोर्ट की कुछ टिप्पणियों के प्रयोग का गंभीर नोटिस लिया है। अदालत ने सिर्फ एक रिपोर्ट मांगी थी और राज्य सरकार द्वारा किसानों की नाकाबंदी के मामले को सुलझाने के लिए कदम उठाए जाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के साथ राजनैतिक मनोरथ को जोडऩा अदालत के अपमान से कम नहीं है। यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी कहा है कि यह केंद्र की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि किसानों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के जरिए किसी नतीजे पर पहुंचे जो समय की जरूरत है। समस्या की जड़ यह है कि पंजाब में मालगाडिय़ों की यातायात पर बनी उलझन संबंधी कोई हल ढूंढने की जगह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र अपने राजनैतिक हितों की पूॢत के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। 


मुख्यमंत्री ने किसानों द्वारा रेल लाइनों पर धरनों में ढील दिए जाने के बावजूद मालगाडिय़ों की यातायात की इजाजत न देने के रेलवे द्वारा रेल संचालन की सुरक्षा और अनिश्चितता के दिए हवाले पर हैरानी जाहिर की। रेलवे के फैसले को केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों में विश्वास की कमी का मामला बताया जबकि किसानों ने वास्तव में राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने के लिए कभी भी कुछ नहीं किया। 1966 में हरित क्रांति की शुरूआत के बाद किसान देश के मुक्तिदाताओं से कम नहीं थे जिन्होंने अमरीका के साथ अपने पी.एल. 480 समझौते के चंगुल से बाहर निकाल लिया। इस कोविड महामारी द्वारा भी किसान ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं।
नड्डा निभा सकते हैं मामले में अहम भूमिका
मुख्यमंत्री ने केंद्र को नाकाबंदी के मसले के हल के लिए नेतृत्व करने की अपील की जो किसानों की ङ्क्षचताओं को हल करने के तरीके ढूंढने और विवादास्पद कृषि कानूनों के कारण पैदा टकराव का स्थायी हल ढूंढने का पहला कदम साबित हो सकता है। कै. अमरेंद्र ने कहा कि नड्डा केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के नेता के तौर पर इस मामले में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने खुले पत्र में लिखा, ‘आओ हम मिलकर ऐसा हल ढूंढें जो हमारी आॢथकता की जीवनरेखा को बर्बाद न करे, बल्कि मौजूदा हालातों से प्रभावित हो रहे हर वर्ग को लाभ पहुंचे।’

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