संसदीय समिति ने फसलों की जल उपयोग दक्षता का अनुमान लगाने के लिये अध्ययन कराने की सफारिश की

Edited By PTI News Agency,Updated: 24 Mar, 2021 12:02 PM

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नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने भारत में प्रमुख अनाज और वाणिज्यिक फसलों के संबंध में जल उपयोग दक्षता संबंधी आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में अभी उपलब्ध नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि फसल के संबंध में जल...

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने भारत में प्रमुख अनाज और वाणिज्यिक फसलों के संबंध में जल उपयोग दक्षता संबंधी आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में अभी उपलब्ध नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि फसल के संबंध में जल उपयोग दक्षता का अनुमान लगाने के लिये अध्ययन कराया जाना चाहिए ।
संसद में पेश जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग से जुड़ी अनुदान की मांगों संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति इस बात का संज्ञान लेती है कि यद्यपि जल की कमी वाले क्षेत्रों में किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय जल मिशन ने ‘सही फसल’ अभियान शुरू किया है ताकि ऐसी फसलें उगाई जा सके जिनको अधिक पानी की जरूरत हो और जल का दक्षतापूर्ण उपयोग किया जा सके । ’’
समिति ने कहा है कि राष्ट्रीय जल मिशन के तहत किसी फसल के संबंध में जल उपयोग दक्षता को मापने के संबंध में कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं कराया गया है ।
इसमें कहा गया है कि, ‘‘ समिति यह जानकर क्षुब्ध है कि भारत में प्रमुख अनाज और वाणिज्यिक फसलों के संबंध में जल उपयोग दक्षता संबंधी आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में मौजूद समय में भी उपलब्ध नहीं है । ’’
रिपोर्ट के अनुसार समिति का स्पष्ट मत है कि सतही और भूजल संसाधनों के तेज गति से कम होने के मौजूदा परिदृश्य में जल उपयोग दक्षता को सुधारना समय की जरूरत है ।
इसके अनुसार जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग ने समिति को बताया कि देश में कुल जल की मांग का सबसे बड़ा क्षेत्र सिंचाई से जुड़ा है जो वर्ष 2010 में कुल जल मांग का लगभग 78.50 प्रतिशत था । यह वर्ष 2025 तथा 2050 में क्रमश: लगभग 72. 50 प्रतिशत और 68.40 प्रतिशत रहने का अनुमान है ।
समिति ने सिफारिश की है कि विभाग, भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में प्रमुख अनाज एवं वाणिज्यिक फसलों के संबंध में जल उपयोग में दक्षता का अनुमान लगाने हेतु अध्ययन शुरू करे ताकि कृषि क्षेत्र में जल का विवेकशील किफायती उपयोग सुनिश्चित किया जा सके ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जल शक्ति मंत्रालय ने 24 सितंबर 2020 को भूजल निकासी के विनियमन तथा नियंत्रण हेतु दिशानिर्देश को अधिसूचित कर दिया है । मंत्रालय ने कहा कि ऐसे उद्योग जो भूजल का 100 किलो लीटर प्रतिदिन उपयोग करते हैं, उनकी वार्षिक जल लेखा परीक्षा इन दिशा निर्देशा में अनिवार्य बनाया गया है । दिशानिर्देशों के तहत ऐसे उद्योग को तीन वर्षो में अपनी ताजा जल खपत को 20 प्रतिशत तक कम करना है ।
समिति ने कहा कि उद्योगों को अपनी निधियों का उपयोग करते हुए जल लेखा परीक्षा करायी जाना चाहिए ।

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