लखीमपुर खीरी हिंसा : आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर उप्र सरकार को नोटिस जारी

Edited By Updated: 06 Sep, 2022 07:40 PM

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नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा से जुड़े एक मामले में आशीष मिश्रा द्वारा दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा से जुड़े एक मामले में आशीष मिश्रा द्वारा दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

आशीष मिश्रा केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा का पुत्र है और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के दौरान तीन अक्टूबर, 2021 को हुई इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हुई थी।

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका 26 जुलाई को खारिज कर दी थी।

उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी अर्जी न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्दरेश की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये आई।

पीठ ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी कर रहे हैं।’’
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय की।

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, घटना में चार किसानों की एक एसयूवी से कुचले जाने से मौत हो गई थी। उस एसयूवी में आशीष मिश्रा सवार था।

इस घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और भाजपा के दो कार्यकर्ताओं की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी।

उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान मिश्रा की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने घटना का संदर्भ देते हुए कहा कि इस संबंध में (दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों में से) एक प्राथमिकी दर्ज कराने वाले व्यक्ति ने कहा है कि आरोपी वाहन में बैठा हुआ था, लेकिन उसे चला नहीं रहा था।

उन्होंने कहा कि कार के चालक को वाहन से बाहर खींचकर निकाला गया और उसे तथा दो अन्य लोगों को इतना पीटा गया कि उनकी मौत हो गई।

रोहतगी ने कहा, ‘‘जिस व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई और कहा कि मैं (मिश्रा) कार में था और हवा में गोलियां चलाते हुए वहां से भाग गया, अंतत: उसने कहा कि वह प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।’’
उन्होंने पीठ को बताया कि मिश्रा को पहले इस मामले में जमानत दी गई क्योंकि उनपर कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं था कि जिस वाहन से कुचले जाने से लोगों की मौत हुई, उसे वह चला रहे थे।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बाद में शिकायतकर्ता उच्चतम न्यायालय पहुंचा और मिश्रा को मिली हुई जमानत रद्द कर दी गई।

इस साल 18 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने इस मामले में मिश्रा को मिली जमानत रद्द कर दी थी और उससे एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था।


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