‘भूजल संसाधन प्रबंधन को मिले सर्वोच्च प्राथमिकता, जल के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के लिए ठोस कदम उठाएं’

Edited By PTI News Agency,Updated: 20 Mar, 2023 10:47 PM

pti state story

नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने देश के कई प्रदेशों में भूजल स्तर की गंभीर स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा है कि भूजल संसाधनों के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए तथा भूजल संरक्षण एवं जल के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के लिए ठोस...

नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने देश के कई प्रदेशों में भूजल स्तर की गंभीर स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा है कि भूजल संसाधनों के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए तथा भूजल संरक्षण एवं जल के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के लिए ठोस कदम उठाये जाएं।

लोकसभा में पेश भारतीय जनता पार्टी सांसद परबतभाई सवाभाई पटेल की अध्यक्षता वाली ‘‘भूजल : एक मूल्यवान किन्तु घटता हुआ संसाधन’’ विषय पर जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भूजल संसाधन देश की पेयजल और सिंचाई जरूरतों को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है, जिसमें 80 प्रतिशत ग्रामीण पेयजल, 50 प्रतिशत शहरी पेयजल और दो तिहाई सिंचाई जल की आवश्यकता भूजल से पूरी होती है।
इसमें कहा गया है कि समिति यह पाती है कि पर्याप्त जलस्रोतों से सम्पन्न होने के बावजूद विकेंद्रीकृत उपलब्धता, ताजे पानी की बढ़ती मांग, वर्षा की अनियमितता, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण आदि के कारण भूजल पर बढ़ती निर्भरता के परिणामस्वरूप भूजल स्तर में काफी कमी आ रही है।
समिति यह संज्ञान लेती है कि वर्ष 2020 के मूल्यांकन के अनुसार, देश में 398 अरब घन मीटर (बीसीएम) के कुल वार्षिक निकालने योग्य भूजल संसाधन में से 245 बीसीएम भूजल निकाला जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि देश में कुल 6965 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लाक/तालुका/मंडल) में से 1114 इकाइयों को ‘अति दोहन’ वाली श्रेणी में, जबकि 270 इकाइयों को ‘गंभीर’ और 1057 इकाइयों को ‘अर्द्ध गंभीर’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
समिति यह पाती है कि वर्ष 2020 में मूल्यांकन में छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश और राजस्थान में सुधार के बजाय गिरावट आने की जानकारी दी गयी है। हालांकि 2017 की तुलना में 2020 के मूल्यांकन में समग्र भूजल की स्थिति में मामूली सुधार ने आशा की किरण दिखाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति का अभी भी मानना है कि भूजल संरक्षण और जल के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
इसमें कहा गया है कि निरंतर भूजल निकासी के परिणामस्वरूप जल स्तर और नीचे चला गया है। अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दमन और दीव, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा को छोड़कर आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे प्रदेशों में अलग-अलग इलाकों में 10 प्रतिशत कुंओं में चार मीटर से अधिक की गिरावट देखी गई है।
समिति की राय है कि जहां भूमिगत जल भंडारण गंभीर खतरे में है, उन क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा सतही जल के पूरक के रूप में भूजल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!