सरकार का कांग्रेस पर पलटवार, आपातकाल को क्या कहेंगे

Edited By ,Updated: 03 Aug, 2015 08:15 PM

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लोकसभा से पार्टी के 25 सांसदों ...

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लोकसभा से पार्टी के 25 सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र के लिए काला दिन बताए जाने पर पलटवार करते हुए आज कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाकर विपक्ष को जेल में डालकर संविधान को बदला, उसे क्या कहा जाए। संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददातओं से लोकसभा में कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन पर बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार पर घमंडी होने का आरोप लगा रही है। यह सोचना होगा कि घमंडी कौन है। 
 
स्वयं वह पिछले सत्र के पहले सोनिया गांधी के घर गए और आज भी जाने को तैयार हैं। उनके कहने पर विभिन्न विधेयकों को विभिन्न समितियों को भेजा। एक साल में चार सर्वदलीय बैठकें हुईं। जिस मुद्दे पर चाहा चर्चा के लिए सहमति जताई। नायडू ने कहा कि कांग्रेस का कहना है कि संप्रग के शासनकाल में उसके छह मंत्रियों के इस्तीफे हुए तो सरकार कम से कम दो मंत्रियों के इस्तीफे दिलवाए। उन्होंने याद दिलाया कि उन मंत्रियों के इस्तीफे पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सदन में व्यापक बहस के बाद हुए थे। लेकिन अब कांग्रेस बहस के लिए राजी नहीं है। 
 
 उन्होंने सांसदों के निलंबन को काला दिवस बताने पर कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाकर विपक्ष को जेल में डालकर संविधान बदला, उसे क्या कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि वह सोनिया गांधी को शत्रु नहीं राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भर मानते हैं। नायडू ने कहा कि लोकसभा में सदस्यों के अनुचित आचरण पर सबसे बड़ी कार्रवाई कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने की थी। पन्द्रह मार्च 1989 में ठक्कर आयोग की रिपोर्ट के मसले पर पहले 58 और फिर पांच सांसदों को निलंबित किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में राम मनोहर लोहिया और मधु लिमये जैसे नेता भी निलंबित किये गये थे1 

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