Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 01:20 PM
भारत में 2020 तक प्रतिदिन 775.5 टन मेडिकल अपशिष्ट पैदा हो सकता है। इस समय रोजाना 550.9 टन अपशिष्ट उत्सर्जित होता है। यह जानकारी औद्योगिक संगठन एसोचैम और वेलोसेटी के एक संयुक्त अध्ययन से सामने आई है। कल जारी अध्ययन में बताया गया है कि हर साल...
नई दिल्लीः भारत में 2020 तक प्रतिदिन 775.5 टन मेडिकल अपशिष्ट पैदा हो सकता है। इस समय रोजाना 550.9 टन अपशिष्ट उत्सर्जित होता है। यह जानकारी औद्योगिक संगठन एसोचैम और वेलोसेटी के एक संयुक्त अध्ययन से सामने आई है। कल जारी अध्ययन में बताया गया है कि हर साल उत्सर्जित होने वाले मेडिकल अपशिष्ट में सात प्रतिशत उछाल आने की संभावना है।
‘अनअर्थिंग द ग्रोथ कर्व एंड नसेसिटी ऑफ बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट इन इंडिया 2018’ नामक अध्ययन में कचरे के सुरक्षित और प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कड़े निगरानी और मूल्यांकन ढांचे के जरूरत पर जोर दिया गया है। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉक्टर कृति भूषण ने कहा, ‘‘अपशिष्ट का सुरक्षित और प्रभावी प्रबंधन ना केवल कानूनी जरूरत है बल्कि एक सामाजिक दायित्व भी है। चिंता, प्रोत्साहन, जागरूकता की कमी और लागत कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसके कारण उचित बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।’’
भारत में 2025 तक अपशिष्ट प्रबंधन का बाजार 136.20 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है। अध्ययन के मुताबिक चिकित्सा अपशिष्ट के खराब प्रबंधन के कारण स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। साथ ही इसके कारण विकासशील देशों में पर्यावरण विशेषकर जल, वायु और मिट्टी सहित प्रदूषण पर भी विचार किया जाना चाहिए।