अलविदा 2017: कंपनी कानून में हुए बड़े बदलाव, Forex में भी दिखा भारत का जलवा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 12:50 PM

alviada 2017 for the big companies the last year was very difficult

साल 2017 कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। इस साल जहां जीएसटी को पेश किया गया वहीं और भी कई तरह के फैसलो को अंजाम दिया गया।  कंपनी कानूनों की खामियों का फायदा उठाकर धोखाधड़ी करने वालों के लिए बीता साल काफी मुश्किल भरा रहा है। सरकार ने कंपनी कानून...

नई दिल्लीः साल 2017 कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। इस साल जहां जीएसटी को पेश किया गया वहीं और भी कई तरह के फैसलो को अंजाम दिया गया।  कंपनी कानूनों की खामियों का फायदा उठाकर धोखाधड़ी करने वालों के लिए बीता साल काफी मुश्किल भरा रहा है। सरकार ने कंपनी कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव के फैसले लिए, जिनसे कंपनियों की आड़ में गोरखधंधे करने वालों का अब बच पाना आसान नहीं होगा।

बड़ी कंपनियों द्वारा सहयोगी कंपनियों और उन कंपनियों की सहायक कंपनियां बनाने के सिलसिले पर सरकार ने अंकुश लगा दिया है। ऐसी मल्टीलेयर कंपनियां ही वित्तीय घोटालों का माध्यम बनती रही हैं। केंद्र सरकार ने अब नियम बना दिया है कि दो अथवा तीन लेयर से ज्यादा सहायक कंपनियों का गठन नहीं किया जा सकेगा। इससे मुख्य कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों के बीच के रिश्ते  का आसानी से लोगों को पता चल सकेगा। सरकार ने छद्म कम्पनियों को बेनकाब करने के लिए भी कड़े कदम उठाए। तीन लाख ऐसी कम्पनियों की पहचान की गई, जिन्होंने तीन साल से कोई कारोबारी लेखा-जोखा जारी नहीं किया था।

टैरर फंडिंग पर नकेल
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं पर रोक लगी है। इसमें सुरक्षा बलों की कड़ी मशक्कत के साथ टैरर फंडिंग पर रोक भी एक बड़ी वजह है। 16 मई को एक न्यूज चैनल ने सिंटग ऑप्रेशन का प्रसारण किया था, जिसमें अलगाववादियों को पाकिस्तान के आतंकी गुटों से पैसे मिलने की बात का खुलासा हुआ था। इसके बाद 19 मई को एन.आई.ए. ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। 

फोरेक्स में जलवा
देश में विदेशी विनिमय रिजर्व अब काफी तेजी से बढ़कर 400 अरब डॉलर से ज्यादा पहुंच गया है, जो देश की मजबूत आर्थिक स्थिति को बताता है। फिलहाल फोरेक्स रिजर्व 377.751 अरब डॉलर है। इसके अतिरिक्त गोल्ड रिजर्व भी 20.691 अरब डॉलर का है। भारत फोरेक्स रिजर्व के मामले में पूरे विश्व में 8वें नंबर पर आता है। 1980 में यह रिजर्व मात्र 7 अरब डॉलर ही हुआ करता था, तब चीन की हालत और बुरी थी।

उसके पास मात्र अढ़ाई अरब डॉलर ही रिजर्व हुआ करता था। 2009 में एक बार तो स्थितियां यहां तक आ गईं थी, जब भारत को 35 अरब डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ गया था, तब रुपए की कीमत 22 फीसदी तक गिर गई थी। हां, अब ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या भारत को इतना पैसा रिजर्व में रखना चाहिए? उसके अलग कारण बताए जाते हैं। खास तौर तब जब विनिमय दरों में काफी उलट-फेर होती रहती है।

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