Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2017 09:37 AM
रेटिंग एजैंसी मूडीज ने कहा कि भारतीय बैंकों की फंसी हुई आस्तियों में 2019 तक बढ़ौतरी होगी और सार्वजनिक बैंकों के लिए ऋण देने के मामले में यह उनकी मुख्य कमजोरी होगी।
नई दिल्ली: रेटिंग एजैंसी मूडीज ने कहा कि भारतीय बैंकों की फंसी हुई आस्तियों में 2019 तक बढ़ौतरी होगी और सार्वजनिक बैंकों के लिए ऋण देने के मामले में यह उनकी मुख्य कमजोरी होगी। इसके साथ ही मूडीज ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों को अगले 2 सालों में 95,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। मूडीज इनवैस्टर्स सर्विस ने एक रिपोर्ट में कहा कि सार्वजनिक बैंकों (पी.एस.बी.) की बाह्य पूंजी जुटाने की क्षमता सीमित है इसलिए उनके पूंजी आधार को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से इक्विटी डाला जाना ही व्यावहारिक स्रोत रहता है।
मूडीज से जुड़ी भारतीय रेटिंग कम्पनी इक्रा का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए आस्ती गुणवत्ता परिदृश्य कमजोर रहेगा। इसका कहना है कि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एन.पी.ए.) 2017-18 के आखिर तक बढ़कर 8.2-8.5 लाख करोड़ रुपए हो जाएंगी जो मार्च 2017 के आखिर में 7.65 लाख करोड़ रुपए थीं। मूडीज का कहना है, ‘‘हमारा अनुमान है कि मूडीज जिन सरकारी बैंकों का विश्लेषण करती है उनमें 11 पी.एस.बी. को 70,000-95,000 करोड़ रुपए की बाह्य शेयर पूंजी की जरूरत होगी।’’