Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jan, 2018 02:58 PM
1 फरवरी 2018 को पेश किए जाने वाले आम बजट 2018 से देश के हर वर्ग को कुछ न कुछ उम्मीदें हैं, इनमें से सबसे प्रमुख देश का वेतनभोगी वर्ग है, यानी देश का आम करदाता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस बार के आम बजट से देश के वेतनभोगी वर्ग को एक राहत की...
नई दिल्लीः 1 फरवरी 2018 को पेश किए जाने वाले आम बजट 2018 से देश के हर वर्ग को कुछ न कुछ उम्मीदें हैं, इनमें से सबसे प्रमुख देश का वेतनभोगी वर्ग है । कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस बार के आम बजट से देश के वेतनभोगी वर्ग को एक राहत की खबर मिल सकती है।
मोदी सरकार की निगाहें अब एक और बड़े कर सुधार पर है और यह सुधार देश के वेतनभोगी कर्मचारियों को उत्साहित करेगा। माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा समय में सैलरी स्ट्रक्चर में एक बड़े सुधार पर काम कर रही है। पीएमओ और वित्त मंत्रालय के साथ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती की मात्रा पर चर्चा कर रहा हैं। साथ ही सरकार एक उदार मानक कर कटौती के राजस्व निहितार्थों का भी अध्ययन कर रही है। दरअसल सरकार चाहती है कि कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा आए और वो भारी-भरकम कागजी कार्यवाही से भी मुक्त रह सकें।
वित्तीय परामर्श सेवा कंपनी ईवाय के बजटपूर्व सर्वेक्षण में 69 फीसद लोगों की राय है कि कर छूट का स्तर बढ़ना चाहिए, ताकि लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा आय बचे। सर्वेक्षण में करीब 59 फीसद प्रतिभागियों ने कहा कि बजट में कई ऐसी कटौतियां हैं, जो अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं। इनकी जगह पर एक मानक कटौती का खाका बनना चाहिए, जिससे कर्मचारियों पर दबाव कम किया जा सके। इस सर्वेक्षण में विभिन्न कंपनियों के 150 मुख्य वित्त अधिकारियों, कर प्रमुखों और वरिष्ठ वित्त पेशेवरों ने भाग लिया। करीब 48 फीसद प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें बजट में कॉरपोरेट कर को घटाकर 25 फीसद किए जाने की उम्मीद है। हालांकि उपकर जारी रह सकते हैं। 65 फीसद लोगों का अनुमान है कि लाभांश पर कर व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा।