अगस्त में अलनीनो का फिर साया

Edited By ,Updated: 22 Feb, 2017 12:41 PM

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यह धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है कि भरपूर बारिश लाने वाला ला नीना 2017 के मॉनसून सीजन में संभवत: जोर नहीं पकड़ेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि अलनीनो की क्या स्थिति रहेगी। अलनीनो की वजह से मॉनसून सीजन में कम बारिश होती है।

नई दिल्लीः यह धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है कि भरपूर बारिश लाने वाला ला नीना 2017 के मॉनसून सीजन में संभवत: जोर नहीं पकड़ेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि अलनीनो की क्या स्थिति रहेगी। अलनीनो की वजह से मॉनसून सीजन में कम बारिश होती है। ज्यादातर मॉडलों के मुताबिक अलनीनो धीरे-धीरे विकसित होने की स्थिति में है, जिससे अनुमान लगाना और मुश्किल हो जाता है। विकसित होते अलनीनो (जब समुद्र की सतह का तापमान ठंडे से गर्म हो जाता है) और देश के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर इसके असर का अनुमान लगाना मुश्किल है और उस पर आधारित अनुमान में फेरबदल के आसार हैं। अगर पूरक स्थितियां मददगार नहीं रहीं तो धीरे-धीरे विकसित होता अलनीनो 2014 की तरह ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक अजित त्यागी ने बताया, 'अलनीनो विकसित होने की अवस्था में है और इसके पूर्ण अलनीनो बनने के 50 फीसदी आसार हैं। इसलिए इसे ठीक ढंग से देखा जाना चाहिए क्योंकि विकसित होते अलनीनो का अनुमान लगाना और भारतीय मॉनसून के पर इसके असर के बारे में कुछ कहना मुश्किल है।'

इस सप्ताह की शुरूआत में ऑस्ट्रेलियाई मौसम विभाग ने अपने ताजा मौसम अनुमान में कहा था कि पश्चिमी प्रशांत महासागर की सतह के नीचे का तापमान पिछले साल इस समय की तुलना में 5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस साल ला नीना जैसी स्थितियां नहीं बनने के आसार हैं। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विभाग अलनीनो और ला नीना पर नजर रखने वाली विश्व की सबसे विश्वनीय एजेंसियों में से एक है। अलनीनो को लेकर ज्यादातर मौसम विज्ञानी और विशेषज्ञों में इस बात पर सहमति है कि अगर यह विकसित होगा तो उस समय अगस्त आ जाएगा और उस समय भारतीय मॉनसून सीजन खत्म होने में महज एक महीना बच जाता है। 

अगर अलनीनो मॉनसून के अंतिम दौर में विकसित हुआ तो इसका थोड़ी ही बारिश पर असर पड़ेगा, जबकि इसके मॉनसून सीजन की शुरुआत में ही विकसित होने पर बारिश पर ज्यादा असर पड़ता है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा कि इस साल अलनीनो फिर विकसित होने के 35 से 40 फीसदी आसार हैं और 2017 की दूसरी छमाही में तटस्थ स्थितियां बने रहने के 50 फीसदी आसार हैं। यह जून के बाद का समय होगा जब भारत का दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अपने चरम पर होता है। डब्ल्यूएमओ संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है और इसके 191 देश सदस्य हैं। 

देश में भारतीय मौसम विभाग ने अलनीनो के समय और भारतीय मॉनसून पर इसके असर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा है। भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि उसका  पहला पूर्वानुमान अप्रैल मेंं आएगा, जिससे चीजें साफ होंगी। हालांकि ज्यादातर मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मई तक यह पता नहीं चलेगा कि अलनीनो का भारतीय मॉनसून पर असर पड़ेगा या नहीं। मौसम के जानकारों का कहना है कि विकसित होता अलनीनो पहले से विकसित अलनीनो से ज्यादा खराब होता है और पिछले अनुभव यह बताते हैं कि विकसित होते अलनीनो ने भारतीय मॉनसून को पूर्ण विकसित अलनीनो से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। 

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