बढ़ता एनपीए गंभीर मामला, बड़े डिफॉल्टरों पर कसेगा शिकंजा

Edited By ,Updated: 18 Mar, 2017 10:05 AM

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बड़े डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसने और बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या....

नई दिल्लीः बड़े डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसने और बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बहु-आयामी रणनीति बनाई है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को फंसा हुआ कर्ज वसूलने में मदद मिलेगी। निश्चित क्षेत्रों के लिए एकबारगी निपटान योजना के अलावा जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े डिफॉल्टरों के खिलाफ आपराधिक मामले भी चलाए जा सकते हैं। पीएमओ, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच बैठक में इस मसले पर विचार-विमर्श किया गया।

बढ़ता एनपीए गंभीर मामला
एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'बढ़ता एनपीए गंभीर मसला है। सरकार का पूरा ध्यान फंसे हुए कर्ज के मसले का समाधान करना है। सार्वजनिक बैंकों में सुधार के लिए बहु-आयामी रणनीति पर विचार किया गया है। इसमें क्षेत्र विशेष का दृष्टिकोण अपनाया जाएगा और कर्ज लेकर नहीं चुकाने वाले बड़े डिफॉल्टरों पर सख्त आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।' सरकार कुछ मामलों में एनपीए के समाधान के लिए थोड़ी कटौती करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी। एनपीए का मुख्य मसला बड़े कारोबारियों, खासकर स्टील, बिजली, बुनियादी ढांचा और टेक्सटाइल क्षेत्रों से जुड़ा है।

जेएलएफ का हो सकता है गठन
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'समय आ गया है कि बैंक चुनिंदा मामलों में एनपीए के समाधान के लिए एकबारगी निपटान पर विचार करे।' कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता वाली एक समिति निश्चित क्षेत्रों के लिए एकबारगी निपटान योजना पर काम कर रही है। कुछ क्षेत्रों के लिए ब्याज दरों में कमी के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। कमजोर बैंकों में सुधार के लिए ज्यादा सहयोग देने पर भी काम चल रहा है। केंद्रीय बैंक ने त्वरित समाधान के लिए संयुक्त कर्जदाता मंच (जेएलएफ) पर नए सिरे से काम करने का भी प्रस्ताव किया है। इसके तहत जेएलएफ में ज्यादा कर्ज वाले दो-तीन बैंकों को पुनर्गठन पैकेज की मंजूरी दी जा सकती है। मौजूदा समय में अगर कर्ज के लिहाज से 75 फीसदी कर्जदाता और 60 फीसदी कर्जदाताओं की संख्या कर्ज पुनर्गठन की मंजूरी देती है तो अन्य बैंक भी इसके साथ आ जाते हैं। अगर फंसा हुआ कर्ज 100 करोड़ रुपए से ज्यादा हो तो जेएलएफ का अनिवार्य तौर पर गठन किया जाएगा।

कारोबारी घरानों का एनपीए में सबसे ज्यादा योगदान
सरकारी बैंकों के 6.8 लाख करोड़ रुपए के एनपीए में से 70 फीसदी बड़े कारोबारी घरानों के हैं। अप्रैल-दिसंबर 2016-17 के दौरान सार्वजनिक बैंकों का फंसा हुआ कर्ज 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ा। इनमें से ज्यादातर हिस्सा बिजली, स्टील, सड़क बुनियादी ढांचा और टेक्सटाइल क्षेत्रों का है। 2015-16 के अंत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल फंसा हुआ कर्ज 5,02,068 करोड़ रुपए था। हाल में हुई बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि मार्च तिमाही में एनपीए की वृद्घि दर में कमी आई है और स्टील क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार एनपीए के मामलों की समीक्षा के लिए विविध निगरानी समिति गठित करने पर भी विचार कर रही है। आरबीआई द्वारा ऐसी एक समिति का गठन पहले ही किया जा चुका है। पिछले हफ्ते जेतली ने आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल और वरिष अधिकारियों के साथ इस मासले के समाधान के लिए बैठक भी की थी।

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