Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2017 02:48 PM
केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने जीन ...
नई दिल्लीः केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने जीन संवर्धित (जी.एम.) सरसों फसल को वाणिज्यिक रूप से जारी करने के बारे में नीतिगत स्तर पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता के वक्तव्य पर विचार किया। केन्द्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कहा कि सरकार मामले में विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है और जी.एम. फसलों को वाणिज्यिक तौर पर जारी करने के मामले में उसने विभिन्न पक्षों से सुझाव और उनकी आपत्तियां आमंत्रित की हैं।
दिया 1 सप्ताह का समय
पीठ ने सरकार को जी.एम. फसलों के बारे में सुविचारित और नकनीयती के साथ लिए गए निर्णय से उसे अवगत कराने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 17 अक्तूबर को जी.एम. सरसों फसल का वाणिज्यिक इस्तेमाल शुरू करने के मामले में दिए गए स्थगन को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया था। शीर्ष अदालत ने केन्द्र से जी.एम. सरसों बीज को खेतों में उगाहने के लिए जारी करने से पहले उसके बारे में सार्वजिनक रूप से लोगों के विचार जानने को कहा।
याचिका की थी दायर
सरसों देश की सर्दियों में पैदा होने वाली एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जो कि मध्य अक्तूबर और नवंबर में बोई जाती है। मामले में याचिकाकर्ता अरुणा रोड्रिग्स के लिए पेश होते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार बीज की विभिन्न क्षेत्रों में बुवाई कर रही है और इसके जैव-सुरक्षा संबंधी उपायों को वेबसाइट पर डालना चाहिए, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया। भूषण ने कहा कि इन बीजों का उचित परीक्षण किए बिना ही विभिन्न स्थानों पर इन बीजों का सीधे खेतों में परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने इस पर 10 साल की रोक लगाने की अपील की है। भूषण ने कहा कि इस संबंध में एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टी.ई.सी.) की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पूरी नियामकीय प्रणाली में गड़बड़ी है इसलिए मामले में दस साल की रोक लगाई जानी चाहिए। राड्रिग्स ने जी.एम. सरसों फसल के वाणिज्यिक तौर पर इस्तेमाल शुरू करने और इन बीजों का खुले खेतों में परीक्षण किए जाने पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की।