बैंकों का NPA हाई लैवल पर

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 05:50 PM

npas of banks at high level

देश के प्रमुख बैंकों का लगातार बढ़ता एन.पी.ए. अब सरकार, संसदीय समिति, आर.बी.आई. सबके लिए...

नई दिल्ली: देश के प्रमुख बैंकों का लगातार बढ़ता एन.पी.ए. अब सरकार, संसदीय समिति, आर.बी.आई. सबके लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। अब इस मसले का क्या हल निकाला जाए इसके लिए हाई लैवल पर कई सारे नए ऑप्शन डिस्कस किए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले 2-3 साल में एन.पी.ए को कम करने के लिए उठाए गए सारे कदम फेल साबित हो गए हैं। आर.बी.आई. की फाइनैंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार बैंकों का ग्रॉस एन.पी.ए. लगातार बढ़ रहा है। मार्च 2016 में यह कुल दिए गए कर्ज की तुलना में 7.8 प्रतिशत था जो सितम्बर 2016 में 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसी तरह स्ट्रैस एडवांस रेशो 12.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यही नहीं, इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार बैंकों का एन.पी.ए. इस समय 6 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को भी पार कर चुका है।

जापान, अमरीका के बैंकों जैसा क्राइसिस
आर.बी.आई. के डिप्टी गवर्नर विराल वी. आचार्य ने बैंकों के बढ़ते एन.पी.ए. पर हाल ही में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में कहा है कि इंडियन बैंकिंग सिस्टम को जापान, अमरीका और स्कैंडेवियन देशों की तरह बैंकिंग क्राइसिस से निपटना होगा। साथ ही नए तरीकों पर फोकस करना होगा।

ढूंढे जा रहे हैं ऑप्शन
हाल ही में इकोनॉमिक सर्वे को पेश करते हुए चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रह्मण्यन ने एन.पी.ए. क्राइसिस से निपटने के लिए बैड बैंक की पुरजोर वकालत की है। सूत्रों के अनुसार इस मसले पर फाइनांस मिनिस्ट्री में भी सहमति बन चुकी है। हालांकि बैड बैंक का मॉडल क्या होगा, इस पर अभी आर.बी.आई., सरकार और दूसरे स्टैकहोल्डर्स के बीच क्लीयर मॉडल नहीं तैयार हो पाया है। इसके तहत ऐसे प्रोजैक्ट्स जो रिवाइव हो सकते हैं, उसके लिए बैंकों को टाइमफ्रेम में टारगेट देने का प्रोपोजल तैयार किया जा सकता है। साथ ही उस टाइमफ्रेम में रिवाइवल न होने पर फाइनैंशियल पैनल्टी भी लगाई जा सकती है।

पब्लिक सैक्टर बैंकों को मिल सकते हैं ज्यादा अधिकार
इसके तहत ऐसे प्रोजैक्ट्स को शामिल कर रिवाइव किया जा सकता है, जिनके एसेट्स मिड टर्म और शॉर्ट टर्म में इकोनॉमिक रूप से वायबल नहीं रह गए हैं। इसके अलावा पब्लिक सैक्टर बैंकों को ज्यादा अधिकार देने पर भी विचार किया जा रहा है। जिसमें प्राइवेट कैपिटल जुटाने, अच्छे एसेट्स की सेल्स आदि का मौका मिल सकता है।

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