रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद महंगी होने लगी दाल

Edited By ,Updated: 26 Mar, 2017 02:52 PM

pulses being expensive

इस साल देश में दलहन के रिकॉर्ड उत्पादन होने तथा पहली बार बफर स्टॉक का निर्माण किए जाने के बावजूद दालों की थोक कीमतें पिछले 2 सप्ताह के दौरान औसतन 9.50 रुपए प्रति किलोग्राम तक उछल गई है।

नई दिल्लीः इस साल देश में दलहन के रिकॉर्ड उत्पादन होने तथा पहली बार बफर स्टॉक का निर्माण किए जाने के बावजूद दालों की थोक कीमतें पिछले 2 सप्ताह के दौरान औसतन 9.50 रुपए प्रति किलोग्राम तक उछल गई है। पिछले वित्त वर्ष में खुदरा बाजार में अरहर दाल के दाम 210 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंचने के बाद सरकारी प्रयासों से पिछले कुछ महीनों में काबू आया था लेकिन पिछले दो सप्ताह में अरहर, मसूर, चना, मूंग और उड़द की थोक कीमतों में तेजी आ गई है जिसका असर आने वाले समय में खुदरा बाजार में भी दिख सकता है।  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के थोक जिंस बाजार में चना दाल 800 रुपए, मसूर दाल 350 रुपए, मूंग दाल 900 रुपए, उड़द दाल 950 रुपए और अरहर दाल 100 रुपए प्रति क्विंटल महंगी हो गई। थोक में चना दाल 6700 रुपए, मसूर दाल 5750 रुपए, मूंग दाल 6,600 रुपए, उड़द दाल 7700 रुपए और अरहर दाल 6800 रुपए प्रति क्विंटल है। चने के दाम भी 550 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गए।  

कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पिछले सप्ताह लोकसभा में बताया कि पिछले रबी सत्र के 170 लाख टन की तुलना में इस रबी सत्र में दलहनों का उत्पादन बढ़कर 240 लाख टन पर पहुंच गया है। इस हिसाब से आपूर्ति और मांग का अंतर समाप्त हो जाना चाहिए क्योंकि खाद्यापूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने सदन को सूचित किया कि पिछले साल मांग एवं आपूर्ति का अंतर 59 लाख टन था जो हर साल 10 लाख टन की दर से बढ़ रहा है।  

पासवान ने बताया कि इसके अलावा देश में दालों का लगभग 16 लाख टन का बफर भंडार भी है। पहली बार देश में दालों का बफर स्टॉक तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन साल में देश दालों के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। दालों के दाम आम लोगों की पहुंच में रखने की दिशा में सरकारी प्रयासों और आयात के कारण दालों की कीमतों में कमी आई थी। सरकार ने दलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर और उस पर बोनस की घोषणा कर दलहनों की बुवाई को प्रोत्साहित किया जिससे इस रबी मौसम में इसका रकबा बढ़कर करीब 160 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष के रबी मौसम में इसका रकबा करीब 144 लाख हैक्टेयर रहा था। इस बीच पिछले दिनों बिहार के कुछ इलाकों में ओलावृष्टि से दलहन और तिलहन की तैयार फसल को नुकसान पहुंचा है। 

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