बजट में 80 ‘सी’ का दायरा बढ़ाया जाएः चार्टर्ड अकाऊंटैंट्स

Edited By ,Updated: 22 Jan, 2017 06:25 PM

section 80 c will expand in budget

बजट की बात पंजाब केसरी के साथ’ में आज हम बात करेंगे चार्टर्ड अकाऊंटैंट्स से।

जालंधर: ‘बजट की बात पंजाब केसरी के साथ’ में आज हम बात करेंगे चार्टर्ड अकाऊंटैंट्स से। वित्त मंत्री द्वारा बजट में की जाने वाली घोषणाओं में कर दरों को जमीनी स्तर पर लागू करने में चार्टर्ड अकाऊंटैंट्स यानि सी.एज का बड़ा योगदान रहता है। यही वह तबका है जो वित्त मंत्री की घोषणाओं को अमल में लाने के लिए करदाताओं और सरकारी अफसरों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता है। ऐसे में यह वर्ग बजट से किस तरह की उम्मीदें लगाए बैठा है इसे लेकर सीनियर चार्टर्ड अकाऊंटैंट्स से बात की गई।

वित्त मंत्री को बजट में सबसे पहला काम टैक्स पेयर्स का बेस बढ़ाने का करना चाहिए। यह टैक्स की स्लैब में बदलाव करके किया जा सकता है। मौजूदा स्लैब में 15 प्रतिशत की एक स्लैब जोड़े जाने की जरूरत है। यदि वित्त मंत्री आयकर में छूट देने के साथ-साथ इसमें एक स्लैब भी जोड़ देते हैं तो लोग खुद-ब-खुद कर देने के लिए आगे आएंगे। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। सरकार ने काले धन के खात्मे के लिए कानून में जो संशोधन किया है उससे व्यापारी वर्ग डरा हुआ है। सरकार को अगले वित्त वर्ष से इन नियमों में बदलाव करना चाहिए क्योंकि नोटबंदी के चलते काफी काला धन सिस्टम में आ गया है लेकिन लोग सख्त कानूनों से डरे हुए हैं। लोग यदि डरे रहे तो सरकार के प्रति भरोसा कम होगा। सरकार के प्रति भरोसे को कायम रखने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है।
- अश्विनी जिंदल सी.ए.

बजट में वित्त मंत्री ऐसी योजना लेकर आएं जिससे फैक्टरियों के मालिकों द्वारा पक्के खाते में डाले जा रहे नए कर्मचारियों के चलते पुराने खातों की जांच न करने का प्रावधान हो। नोटबंदी के बाद कई स्थानों पर फैक्टरियों के मालिक अपने कच्चे कर्मचारियों को पक्का कर रहे हैं जिसके चलते उनके ई.एस.आई. और पी.एफ. के खाते खोले जा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में नई भर्तियों के बाद सरकारी एजैंसियां जांच का रास्ता अख्तियार कर सकती हैं और नए के साथ पुराने कर्मचारियों की जांच भी खुल सकती है। लिहाजा एक योजना लाकर बजट में इंडस्ट्री को राहत मिलनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को नए कर्मचारियों के पी.एफ. में हिस्सेदारी डालनी चाहिए क्योंकि फैक्टरी मालिक अचानक इतना बोझ सहने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार को इंडस्ट्री को पहले साल 6 प्रतिशत, दूसरे साल 9 प्रतिशत और तीसरे साल 12 प्रतिशत पी.एफ. कंट्रीब्यूशन की इजाजत देनी चाहिए तथा बाकी हिस्सा खुद वहन करना चाहिए। इसके अलावा सॢवस टैक्स की सीमा बढ़ा कर 20 लाख की जानी चाहिए।
- पुनीत ओबराय सी.ए.

भारत में नोटबंदी के बाद जो स्थिति पैदा हुई है उसमें सामान्य लोगों के पास सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई जरिया नहीं बचा है। बजट में वित्त मंत्री को सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर ज्यादा खर्च का प्रावधान करना चाहिए ताकि आम इंसान को बीमारी के वक्त या अन्य जरूरत के समय सरकार की योजनाओं का सहारा हो। इसके अलावा करदाताओं को बचत के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सेक्शन 80 ‘सी’ के तहत मिलने वाली छूट का दायरा बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों के पास संकट के समय पैसे उपलब्ध रहें। इसके अलावा बजट में महिलाओं को कर से अतिरिक्त छूट दोबारा शुरू करनी चाहिए। पहले महिलाओं के लिए अतिरिक्त छूट का प्रावधान था लेकिन बाद में यह प्रावधान बंद कर दिया गया।
- मनोज चड्ढा, चेयरमैन आई.सी.ए.आई., जालंधर

सरकार ने स्त्री धन की जांच न करने की बात कही थी लेकिन अब 2 लाख से ऊपर डिपॉजिट की जांच की बात कही जा रही है। बजट में इस पर स्पष्ट नीति की घोषणा होनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को बचत की योजनाओं पर लॉक इन पीरियड घटाना चाहिए। मौजूदा दौर में सरकारी योजनाओं का लॉक इन पीरियड 5 साल से ज्यादा है। ऐसे में यदि किसी को आपात स्थिति में पैसे की जरूरत पड़े तो वह अपने पैसे ही इस्तेमाल नहीं कर पाता। यदि इनका लॉक इन पीरियड कम होगा तो लोगों के पास आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए पैसे उपलब्ध रहेंगे। सरकार कैशलैस को प्रोत्साहन दे रही है। ऐसे में डिजिटल पेमैंट के सारे विकल्पों को टैक्स फ्री करना चाहिए। किसी ने फिल्म देखने जाने के लिए विंडो पर टिकट खरीदनी हो तो वह ऑनलाइन बुकिंग से महंगी पड़ती है। ऑनलाइन खरीदारी और अन्य कामों के लिए ऑनलाइन पेमैंट पर भी टैक्स लगता है, इसे हटाया जाना चाहिए।
- एस.एस. कालड़ा सी.ए.

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